शहर में नियमित रूप से कचरे ढेर नहीं उठाए जाते है। ऐसे में सफाई कर्मचारी इन कचरे के ढेर को आग के हवाले कर देते है, जिससे कई घंटों तक धुआ निकलता रहता है, शहर में प्रतिदिन सुबह करीब दो से तीन दर्जन कचरे के ढेर में आग लगाई जाती है। वहीं अस्तोली रोड स्थित डंपिंग यार्ड में कई माह से आग लगी हुई है, जिससे काफी मात्रा में धुआ निकलता है, जिसकी हवा वन क्षेत्र व रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र को भी प्रभावित करती है।
जिला पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड अधिकारी सविता चौधरी के अनुसार जिला मुयालय पर एक्यूआई अधिक रहने का कारण कचरे के ढेर जलाए जाना, वाहनों का प्रदूषण, सड़कों पर गड्ढों से वाहनों के गुजरने के दौरान उड़ने वाले धूल, पहाड़ी क्षेत्र में खनन, शादी समारोह सहित विभिन्न आयोजन में की जा रही आतिशबाजी मुख्य रूप से शामिल है।
जिला मुख्यालय पर सीएएक्यूएमएस यानी कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम लगा हुआ है।। इसका सिविल लाइन एवं देवपुरा में डिस्पले बोर्ड पर 24 घंटे आंकड़े दिखाए जाते है। रोगियों को सांस लेने में हो रही परेशानी
मौसम परिवर्तन के साथ ही दमा रोगियों को सांस लेने में परेशानी शुरू होने लगती है। ऐसे में एक्यूआई के बढ़ते ग्राफ ने स्थिति और भी विकट कर दी है। जिला चिकित्सालय के फीजिशियन पवन भारद्वाज ने बताया कि इन दिनों जिला अस्पताल में 25 से 30 दमा रोगी आ रहे है। इसमें 20 से 30 वर्ष तक के युवा भी शामिल है, जबकि दीपावली के पहले तक यह संख्या केवल 5 से 10 ही हुआ करती थी। बढ़ता वायु प्रदूषण रोगियों के लिए खतरा साबित हो सकता है।
सविता चौधरी, क्षेत्रिय अधिकारी, पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, बूंदी