बाघ की मौत की सूचना से वन विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। बाघ का शव बूंदी वन विभाग के कार्यालय लाया गया। यहां पांच पशु चिकित्सकों की टीम ने शव का पोस्टमार्टम किया। सरिस्का टाइगर रिजर्व से बाहर निकलकर हरियाणा के जबुआ के जंगलों में डेरा जमाए तीन साल के युवा बाघ को गत 11 नवम्बर को रामगढ़ विषधारी लाया गया था। उसे 27 दिन पहले एनक्लोजर से निकालकर जंगल में छोड़ा गया था।
जंगल में इस बाघ की लोकेशन लगातार एक जगह पर आने से वनकर्मियों को किसी अनहोनी की आशंका हुई। उन्होंने शुक्रवार को मौके पर जाकर देखा तो वहां बाघ मृत मिला। मृत बाघ के शव को बड़ी मशक्कत से पहाड़ी नाले में रास्ता बनाकर नीचे उतारा गया। टीम शव को लेकर बूंदी जैतसागर झील किनारे वन विभाग के जिला कार्यालय पहुंची।
जहां पांच पशु चिकित्सक की टीम ने शव का पोस्टमार्टम किया। प्रथम दृष्टया बाघ की मौत का कारण क्षेत्राधिकार की लड़ाई होना माना जा रहा है। पोस्टमार्टम के दौरान कोटा के मुख्य वन संरक्षक रामकरण खेरवा, बूंदी पुलिस अधीक्षक राजेंद्र कुमार मीणा, रामगढ़ के उपवन संरक्षक वीरेंद्र कुमार झा,टेरिटोरियल डीएफओ देवेंद्र सिंह भाटी, कोटा चिडिय़ाघर के डीएफ ओ अनुराग भटनागर सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।