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बुरहानपुर

8 साल में महज 5 प्रतिशत काम होने पर गुस्साया हाईकोर्ट, बड़े अफसरों और कलेक्टर को दिया नोटिस

Highcourt- एमपी के बड़े अफसरों पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। समय सीमा में काम पूरा नहीं पर कलेक्टर से भी जवाब मांगा है।

बुरहानपुरApr 08, 2025 / 04:22 pm

deepak deewan

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Highcourt – 8 साल में महज 5 प्रतिशत काम होने पर एमपी हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए बड़े अफसरों को नोटिस जारी किया है। समय सीमा में काम पूरा नहीं पर कलेक्टर से भी जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, बुरहानपुर कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर पूछा कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद जलावर्धन योजना का काम समय पर पूरा क्यों नहीं किया? एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के नगरीय प्रशासन विभाग, प्रोजेक्ट डायरेक्टर मप्र नगरीय विभाग कंपनी, कलेक्टर बुरहानपुर, नगर निगम बुरहानपुर, जेएमसी प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड व मेसर्स रेमकी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को नोटिस जारी किए हैं। सभी अधिकारियों को चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए गए हैं।
बुरहानपुर में जलावर्धन का काम समय पर पूरा नहीं होने पर मप्र हाईकोर्ट जबलपुर में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद काम समय पर पूर्ण क्यों नहीं किया गया? समयावधि समाप्त हो चुकी है लेकिन अभी तक महज पांच फीसदी ही काम हुआ है।
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जलावर्धन योजना वर्ष 2017 में प्रारंभ की गई थी

बुरहानपुर निवासी डॉ. सूर्यकांत उर्फ आनंद दीक्षित की ओर से हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता धर्मेन्द्र सोनी ने पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि बुरहानपुर नगर निगम सीमा के अंतर्गत नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से जलावर्धन योजना वर्ष 2017 में प्रारंभ की गई थी। इसका कार्य पांच वर्ष में पूर्ण होना था।

समयावधि समाप्त होने के बाद भी महज पांच फीसदी ही काम हुआ

निर्धारित समयावधि समाप्त होने के बाद भी महज पांच फीसदी ही काम हुआ है, जबकि अब तक 130 करोड़ रुपए की राशि खर्च हो चुकी है। इतना ही नहीं, जल योजना के लिए जहां पर पाइप डाले गए हैं, वह महज जमीन से पांच इंच नीचे ही हैं, पूरा कार्य गुणवत्ताहीन है। इसको लेकर संबंधित अधिकारियों को शिकायत भी की गई, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। तब हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई।

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