सेलर्स पर टैक्स का बोझ होगा कम
CII महंगाई को ध्यान में रखते हुए किसी एसेट के खरीद मूल्य को समायोजित करने में मदद करता है। यह समायोजन कर योग्य कैपिटल गेन को कम करता है। यह कर योग्य कैपिटल गेन सेल प्राइस और इनफ्लेशन एडजस्टेड परचेज प्राइस का अंतर होता है। सीआईआई के अधिक रहने से सेलर्स पर टैक्स का बोझ कम होता है।
वित्त वर्ष 2026 से लागू होगा संशोधित CII
संशोधित कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स वित्त वर्ष 2026 और असेसमेंट ईयर 2026-27 के लिए लागू होगा। जब टैक्सपेयर वित्त वर्ष 2026 में हुई कमाई के लिए टैक्स रिटर्न फाइल करेंगे, तब उनको इसका फायदा होगा। क्यों यूज होती है यह इंडेक्स?
इस इंडेक्स को यूज करने का उद्देश्य यह है कि कैपिटल गेन टैक्स रियल मुनाफे पर ही लगाया जाए। इन्फ्लेशन से प्रभावित गेन्स पर कैपिटल गेन टैक्स न लगे। हालांकि, इंडेक्सेशन से जुड़े सभी नियमों में बदलाव हुए हैं।
कैपिटल गेन टैक्स के नए नियम
सरकार के टैक्स सरलीकरण प्रयासों के तहत, वित्त अधिनियम 2024 में कैपिटल गेन टैक्स के लिए नए नियम लाये गए थे। अपडेटेड नियमों के तहत, इंडेक्सेशन का फायदा मुख्य रूप से 23 जुलाई 2024 से पहले बेचे गए एसेट्स पर ही मिलेगा। इस तारीख के बाद की गई बिक्री के लिए भी निवासी व्यक्ति और एचयूएफ इंडेक्सेशन बेनिफिट्स का क्लेम कर सकते हैं- बशर्ते एसेट्स 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदे गए हों। ऐसे मामलों में वे बिना इंडेक्सेशन के नई 12.5 प्रतिशत की फ्लैट रेट के बजाय इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स का भुगतान करना चुन सकते हैं।