कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉयीज एंड वर्कर्स ने 7 मार्च 2025 को जारी अपने सर्कुलर में सरकार से लंबित महंगाई भत्ते (DA) के मुद्दे सहित अन्य कई मांगों को शीघ्र हल करने की मांग की है। सर्कुलर में कहा गया है कि केंद्र सरकार की उदासीनता के कारण कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की जायज मांगें अभी तक पूरी नहीं हो सकी हैं। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि कर्मचारी संगठन लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं।
कंफेडरेशन की मांग
> नई पेंशन योजना (NPS)) को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल किया जाए।
> कोविड महामारी के दौरान रोकी गई डीए की किस्तों को जारी किया जाए।
> कर्मचारियों और पेंशनरों की पेंशन से काटी गई राशि को 12 साल में बहाल किया जाए (फिलहाल यह अवधि 15 साल है)
> कंपेशनेट के आधार पर नौकरी देने पर 5 प्रतिशत की सीमा को हटाया जाए।
> सभी पात्र आवेदकों को नियुक्ति दी जाए।
> सभी विभागों में रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए।
> सरकारी विभागों को आउटसोर्सिंग और प्राइवेटाइजेशन को रोका जाए।
क्या है DA एरियर मामला?
केंद्र सरकार हर साल जनवरी और जुलाई में दो बार महंगाई भत्ते (डीए) में संशोधन करती है, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में सरकार ने डीए बढ़ोतरी पर 18 महीने के लिए रोक लगा दी थी। इस अवधि के दौरान कर्मचारियों को तीन किस्तों में डीए मिलना था, जो अब तक बकाया है।
सरकार सुनेगी मांग?
सरकार ने कई बार स्पष्ट किया है कि वह डीए के बकाया भुगतान नहीं करेगी, क्योंकि उसका मानना है कि यह आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है। दूसरी ओर, फेडरेशन ने अपने सर्कुलर में कहा है कि कर्मचारी अपनी मांगों के लिए संघर्ष जारी रखेंगे। संगठन ने सभी संबंधित यूनियन नेताओं को 10-11 मार्च को गेट मीटिंग आयोजित कर कर्मचारियों को जागरूक करने का निर्देश दिया है, ताकि वे भविष्य के आंदोलनों के लिए तैयार हो सकें।