क्या होती है रजिस्ट्री?
आमतौर पर लोग प्रॉपर्टी खरीदते समय रजिस्ट्री करवाते हैं। रजिस्ट्री केवल इस बात का रिकॉर्ड है कि कोई लेनदेन आधिकारिक रूप से दर्ज हुआ है। रजिस्ट्री से यह साबित नहीं होता कि वह लेनदेन सही है या नहीं। अगर पुराने मालिक के पास क्लियर ओनरशिप नहीं है, तो आपके लेनदेन की रजिस्ट्री होने से भी कुछ नहीं होगा। ओनरशिप साबित करने के लिए आपको दूसरे डॉक्यूमेंट्स की भी जरूरत पड़ेगी।
इन डॉक्यूमेंट्स को जरूर देखें
जब आप प्रॉपर्टी खरीदें, तो मालिकाना हक का चेन सिस्टम जरूर देखें। यानी आप जिससे प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, उससे पहले वह प्रॉपर्टी किस-किस के पास थी और क्या उन्होंने लीगल तरीके से उस प्रॉपर्टी को खरीदा था या नहीं। आप अपने नगर निकाय में जाकर भी इसकी जानकारी ले सकते हैं या पिछली सेल डीड और चेन डीड देख सकते हैं। प्रॉपर्टी खरीदते समय सेल डीड और टाइटल डीड जरूरी डॉक्यूमेंट्स होते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
आप जिससे प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, अगर उसके पास टाइटल डीड नहीं है, तो उसे प्रॉपर्टी बेचने का अधिकार नहीं है। ऐसे में वह प्रॉपर्टी विवादित भी हो सकती है। बिना टाइटल डीड और चेन डीड के प्रॉपर्टी नहीं खरीदें। प्रॉपर्टी खरीदते समय Encumbrance Certificate (भार-मुक्त सर्टिफिकेट) भी देखें। यह बताता है कि खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी केस या कर्ज तो नहीं है। आजकल कई लीगल फर्म्स लोगों को यह सुविधा देती हैं।
प्रॉपर्टी खरीदते समय यह पता कर लें कि संबंधित नगर निगम या प्राधिकरण से प्रॉपर्टी का नक्शा पास हुआ है या नहीं। अगर नक्शे के अनुसार निर्माण नहीं हुआ है, तो वह अवैध निर्माण कहलाएगा।
अगर आप फ्लैट खरीद रहे हैं, तो ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट यानी ओसी भी चेक कर लें। यह बताता है कि उस बिल्डिंग को अप्रूव्ड प्लान और नियमों के तहत बनाया गया है या नहीं। अगर ओसी नहीं मिली है, तो उस बिल्डिंग में रहना गैर कानूनी होगा।
प्रॉपर्टी खरीदते समय आपको प्रॉपर्टी टैक्स की रसीदों को भी देखना चाहिए। पता करें कि पुराने मालिक ने प्रॉपर्टी टैक्स दिया है या नहीं।