मार्केट मूल्य के मुकाबले सरकार की दर कम
सरकार ने गेहूं के उपार्जन के लिए समर्थन मूल्य 2525 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, साथ ही गेहूं की खरीदारी में 125 रुपए का बढ़ावा देने की घोषणा की थी। हालांकि, फिलहाल शासन स्तर से इसके आदेश नहीं मिले हैं। इसी बीच, बाजार में गेहूं का मूल्य 2550 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास है, जो सरकारी मूल्य से काफी अधिक है। इस कारण किसान खुले बाजार की ओर रुख कर रहे हैं।
ऋण की राशि काटने का डर
इसके अलावा किसानों को यह भी डर है कि सरकारी खरीदी में अपनी उपज देने के बाद उन्हें जो भुगतान होगा, उसमें से उनके पुराने ऋण का एक हिस्सा काट लिया जाएगा। यह चिंता किसानों के पंजीयन को और भी कम कर रही है, और उन्हें सरकारी उपार्जन केंद्रों पर जाने से हतोत्साहित कर रही है।
पंजीयन में कमी के कारण समितियां चिंतित
फसल खरीदारी के लिए पंजीयन में कमी आने से समितियों की स्थिति भी अब से ही परेशानी में आ गई है। पंजीयन के लिए अंतिम तारीख 31 मार्च निर्धारित की गई है, और अभी भी किसानों में रजिस्ट्रेशन को लेकर कोई उत्साह नहीं दिख रहा है। इससे समितियों को उपार्जन के समय से पहले ही समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
जिले के कुछ क्षेत्रों में पंजीयन की स्थिति बेहद खराब
जिले के कुछ क्षेत्र जैसे बकस्वाहा और गौरिहार, जहां किसानों की पंजीयन संख्या बेहद कम रही है, खासतौर पर फिसड्डी साबित हो रहे हैं। बकस्वाहा और गौरिहार जैसे क्षेत्रों में तो दहाई के अंक भी पार नहीं किए गए हैं, वहीं लवकुशनगर और चंदला में भी पंजीयन की संख्या बहुत कम दर्ज की गई है। अगर यही स्थिति रही तो जिले में राशन की सप्लाई में भी समस्याएं आ सकती हैं।
किसानों में इस प्रक्रिया को लेकर संशय की स्थिति है। कई किसान अभी भी सरकारी उपार्जन के तरीके और भुगतान की प्रक्रिया को लेकर आशंकित हैं। हालांकि, अधिकारियों द्वारा किसानों को पंजीयन की प्रक्रिया से अवगत कराया जा रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी दिनों में पंजीयन की संख्या में इजाफा होगा।
पंजीयन की इस धीमी गति के कारण आने वाले समय में गेहूं उपार्जन प्रक्रिया में कई चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसे में किसानों को अपनी फसल को सरकारी समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। यही नहीं, सरकारी दरों में बढ़ोतरी के बाद भी किसानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके ऋण और अन्य समसामयिक समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सही फैसले लिए जाएं।
हम किसानों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि समय के साथ पंजीयन संख्या में वृद्धि होगी। इसके बावजूद, जिन क्षेत्रों में पंजीयन की संख्या कम है, वहां जल्द ही स्थिति में सुधार होगा।
सीताराम कोठारे, जिला आपूर्ति अधिकारी