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छिंदवाड़ा

खलिहान से लेकर भुगतान तक किसानों को प्रति क्विंटल 100 रुपए का नुकसान

समितियों की तुलना में मंडी तक अनाज लाने पर कई खर्च, कुछ जायज तो कुछ से किसान परेशान

छिंदवाड़ाApr 18, 2025 / 11:02 am

prabha shankar

Kusmeli Mandi

Kusmeli Mandi

कृषि उपज मंडी कुसमेली में हर दिन दूरदराज से सैकड़ों किसान पहुंचते हैं। इन किसानों के उपज की मंडी में बोली लगती है। गुणवत्ता के आधार पर न्यूनतम एवं अधिकतम दर तय होती है, लेकिन भाव चाहे जो रहें, सभी किसानों को खलिहान से लेकर भुगतान तक एक सा ही खर्च लगता है। कुछ खर्च को लेकर किसानों ने एतराज किया, तो कुछ खर्चों को जायज बताया है। फिलहाल कृषि उपज मंडी में किसानों को नीलामी की दर से करीब 100 रुपए प्रति क्विंटल कम दाम ही हाथ में आते हैं।

भाड़ा से लेकर भुगतान तक में खर्च

मंडी में इन दिनों मक्का के मॉडल दाम 2201 रुपए प्रति क्विंटल, गेहूं के मॉडल दाम 2600 रुपए प्रति क्विंटल हैं। किसान जब दोनों को बेचने की प्रक्रिया से गुजरता है, तो वह मक्का के 2100 रुपए और गेहूं के 2500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से दाम लेकर लौटता है। कृषक सोनू साहू ने बताया कि मंडी से करीब 20 किमी दूर होने पर 20 रुपए कट्टी खर्च हो जाता है। फिर 10 रुपए खलिहान में भरवाई, कांटा, मंडी में भरवाई, पाला खंजर और भुगतान के समय 10 रुपए कट्टी के साथ आधा किलो उपज की घटती का खर्च भी आता है। यदि व्यापारी ने मंडी परिसर से ही उसकी दुकान तक भेजने के लिए कह दिया तो 5 रुपए कट्टी अलग से खर्च हो जाता है।

समितियों में नहीं आता अधिक खर्च

कृषि उपज मंडी कुसमेली में प्रति क्विंटल अनाज बिक्री में जितना खर्च आ जाता है, उससे एक चौथाई खर्च ही समितियों में होता है। समितियों में किसान को सिर्फ अनाज पहुंचवाई डीजल खर्च लगता है, वह भी काफी कम। इसके अलावा भरवाई एवं उतरवाई खर्च ही लगता है। किसान नरेश ठाकुर ने बताया कि समितियों में 10 रुपए प्रति क्विंटल भाड़ा, भरवाई एवं उतरवाई के लिए 10 रुपए प्रति क्विंटल के अतिरिक्त अन्य कोई खर्च नहीं है। वहीं एक अन्य किसान ने बताया कि खर्च कम होने के बावजूद तत्काल भुगतान नहीं होने के साथ केसीसी के ऋण को काट कर भुगतान के चक्कर में किसान सोसायटी की जगह मंडी में ही उपज बेचना पसंद करते हैं। वह व्यवस्था एवं सुविधा के अनुसार बाद में ऋण चुका ही देते हैं।

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