इस गोधुलि वृद्धाश्रम में इस समय 89 बुजुर्ग महिला-पुरुष परिवारों के छोडऩे के कारण अपनी जिंदगी की शाम बिता रहे हैं। उनके भरण पोषण,दवाइयां समेत अन्य खर्च में करीब साढ़े तीन लाख से 4 लाख रुपए महीने का खर्च है। इसके लिए पहले राज्य शासन की निराश्रित निधि से कलेक्टर के अधिकार से दो लाख रुपए की राशि मिल जाया करती थी। राज्य शासन की ओर से ा इस निराश्रित निधि को समाप्त कर सामाजिक न्याय विभाग का एकल खाता कर दिया गया है,तब से ही वृद्धाश्रम को अनुदान राशि मिलना बंद हो गई। जैसे तैसे इस नई निधि की व्यवस्था सरकार ने की तो पिछले दिसम्बर 24 से यह राशि नहीं मिल रही है।
वृद्धाश्रम अधीक्षक ने इसके लिए कई बार पत्र लिखे लेकिन विभाग की ओर से कोई बजट नहीं मिला। इस बजट के अभाव में निगम को ही अपनी राशि खर्च कर वृद्धाश्रम का संचालन करना पड़ रहा है।
इनका कहना है…
वृद्धाश्रम के संचालन करने अनुदान राशि के लिए सामाजिक न्याय विभाग को पत्र लिखा गया है। अभी तक 25 लाख रुपए का बजट नहीं मिल पाया है। फिर से शासन का ध्यान आकर्षित किया गया है।-प्रीतम चौरिया, अधीक्षक वृद्धाश्रम ।