90 फीसदी दुकानों में लूज पानी, घरों तक भी पहुंच
छिंदवाड़ा शहर में दुकानें और सरकारी-अर्धशासकीय, निजी कार्यालयों में ब्रांडेड बॉटल के साथ ही बंद डिब्बा में लूज पानी की आपूर्ति 90 फीसदी है। इसके अलावा अब घर-घर पानी पहुंचने लगा है। जितना लोग कोल्ड ड्रिंक्स नहीं पीते, उतना पानी पी रहे हैं। ऐसे में ट्रीटमेंट वाटर प्लांट मुनाफे का कारोबार बन गया है।वाटर प्लांट में नेतागिरी ज्यादा, नहीं हो पा रही जांच
देखा जाए तो इन वाटर प्लांट का संचालन करने वाले लोग नेतागिरी से जुड़े है। जिससे उनकी विधिवत् जांच नहीं हो पा रही है। खासकर पानी की गुणवत्ता पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं कि पानी की हार्डनेस को सॉफ्ट करने में क्या संसाधन लगते हैं। इनका विधिवत् उपयोग हो पाता है या नहीं।गर्मी के तीन माह में ज्यादा, बिना पानी नहीं हो रही शादी
गर्मी के तीन माह अप्रेल,मई और जून में शादी-ब्याह के चलते डिब्बा बंद पानी का कारोबार ज्यादा है। इसके अलावा हर माह जन्मदिन, तेरहवीं समेत अन्य सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रम में भी यहीं पानी उपयोग हो रहा है। ये एक सामाजिक चलन में आ गया है।
पानी में रसायन ज्यादा, जांच पर होता है संदेह
जिले में जगह-जगह भू-गर्म में खनिज आदि की मात्रा भरपूर है। ऐसे में पानी के अंदर मरकरी, लेड, फ्लोराइड, क्रोमियम, कैडमियम, व नाइट्रेट जैसे रसायन के होने की पूरी संभावना है। ट्रीटमेंट प्लांट में इसकी विधिवत् जांच हो पा रही है या नहीं,इस पर संदेह बना हुआ है।वर्ष 2016 से कोल्ड ड्रिंक्स की बिक्री कम
एक समय था जब जिले भर में कोल्ड ड्रिंक्स की बिक्री चरम पर थी। वर्ष 2016 में इस ड्रिंक्स में कुछ खतरनाक रसायनों की जानकारी सामने आने के बाद इसका मार्केट गिर गया। व्यवसायियों के मुताबिक तब से इसकी बिक्री कम हो गई है। जबकि पानी की बोतल और केन का कारोबार लाखों रुपए प्रतिदिन का पहुंच गया है।क्या कहते हैं अधिकारी
डिब्बाबंद पानी की गुणवत्ता और ट्रीटमेंट प्लांट की जांच समय-समय पर की जा रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस पर विशेष ध्यान केन्द्रित करेगा। सभी प्लांट की जागरुकता कार्यशाला भी लगाएगा।-केएन कटारे, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।
पिछले दो साल में विभाग की ओर से हम 30-40 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की जांच कर चुके हैं। हाल ही में एक प्लांट सील भी किया गया था। हर व्यक्ति को नियम से गुणवत्तायुक्त पानी मिले,यह हमारी प्राथमिकता है।
–गोपेश मिश्रा, खाद्य औषधि नियंत्रण अधिकारी।