सीताफल: उत्पादन 2145 मैट्रिक टन, पैसा बरसता
जिले में सीताफल का उत्पादन 2145 मैट्रिक टन तक पहुंच गया है। पिछले साल 132 हेक्टेयर में सीताफल की पैदावार हुई थी। इसमें सर्वाधिक पैदावार चित्तौडगढ़़ परिसर में होती है। सरकार की ओर से यहां पर सीताफल उत्कृष्टता केन्द्र खोला गया है। यहां पर सीताफल का पल्प निकाल उसकी बिक्री की जाती है। इससे मिठाई, आइसक्रीम, शेक आदि बनाए जाते है। इससे लोगों को रोजगार भी मिलता है। उपनिदेशक डॉ. शंकर लाल जाट ने बताया कि सीताफल उत्कृष्टता केन्द्र की ओर से केन्द्र में 29 किस्म तैयार की जा रही है। इससे उत्पादन बढ़ेगा और क्वालिटी में और सुधार आएगा।बिल्व पत्र : ज्यूस, मुरब्बा और आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग
बिल्व पत्र का पेड़ शहरों के साथ गांवों में भी खूब दिखाई देते है। यह पेड़ आस्था से भी जुड़ा हुआ है। भगवान शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाए जाते हैं। इसके पेड़ में उगने वाले बिल का ज्यूस, मुरब्बा बनाने सहित कई आयुर्वेदिक दवाईयों में इसका उपयोग होता है। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. सौरभ हाड़ा ने बताया कि आयुर्वेद में बिल का बहुत महत्व है। बिल से बने उत्पाद पेट के रोगों के लिए रामबाण है।ग्रेनाइट एवं मार्बल से सैकड़ों को रोजगार
जिले में मार्बल और ग्रेनाइट की माइंस नहीं है, लेकिन यहां पर राजनगर, सलूंबर व बांसवाड़ा से मार्बल ब्लॉक लाकर उसे तैयार किया जाता है। चित्तौडग़ढ़ में ऐसी करीब चार सौ यूनिट हैं। यहां से तैयार माल की पूरे जिले में सप्लाई के साथ ही कई अन्य जिलों में भी होती है। इससे मंदिर, मार्बल की जाली, घरों में फर्श सहित कई उत्पाद तैयार होते हैं। इससे सैंकडों लोगों को रोजगार मिल रहा है।चित्तौड़ दुर्ग विश्व विरासत, लाखों लोग आते निहारने
चित्तौडगढ़़ का दुर्ग विश्व विरासत में शामिल है। दुर्ग 700 एकड़ में फैला हुआ है। यह सात किलोमीटर लम्बा और 2.8 किलोमीटर चौड़ा है। इसे देखने के लिए पूरे भारत से देसी और विदेशी पर्यटक आते है। पर्यटन विभाग के अनुसार 2024 में 8,92,096 लाख देसी और विदेशी पर्यटक दुर्ग भ्रमण के लिए पहुंचे थे। इस वर्ष में अब यह आंकड़ा 4 लाख के करीब पहुंच गया है। जयपुर के पर्यटक विजय कुमार का कहना है कि दुर्ग तक पहुंचने का रास्ता सुगम और सुविधायुक्त हो पर्यटकों की संख्या के साथ रोजगार के अवसर और बढ़ सकते हैं।कबड्डी की जगह कई खेलों में बढ़ी रूचि
जिले में पहले कबड्डी मुख्य खेल होता था, लेकिन समय के साथ बदलाव के चलते युवाओं की खेलों में रूचि बदल गई है। यहां पर फुटबॉल के कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर तक खेल चुके हैं। हालांकि शहर के बीच बना गोरा बादल स्टेडियम बदहाल होने के कारण फुटबॉल खिलाड़ी निराश है। पिछले कुछ सालों में क्रिकेट के प्रति भी युवाओं की रूचि बढ़ी है।विश्व में 17 लाख से कम आबादी वाले देश : जानकारों के अनुसार कम्बोडिय़ा, जिम्बाब्वे, दक्षिण सूड़ान, रवाड़ा, वेटिकन सिटी, मोनाको, नाउरू, पलाऊ, सैन मैरिनो, लिकटेंस्टीन, मार्शल द्वीप, सेंट किट्स, नेविस, डोमिनिका, सेंट विंसेंट, ग्रेनेडाइंस, एंटीगुआ, बारबूडा, सेशेल्स और सेंट लूसिया सहित 32 है।
फैक्ट फाइल
- 15,44,338 लाख जिले की 2011 की आबादी
- 17,92,973 लाख जिले की 2021 की आबादी
- 16.1 प्रतिशत मानी जा रही जनसंख्या वृद्धि