लेकिन हाल ही में 15 अप्रैल को यूके सुप्रीम कोर्ट के फैसले में, जिसमें उसने कहा कि महिला की कानूनी परिभाषा जैविक लिंग पर आधारित है। इसका मतलब है कि ईसीबी ने अब अपनी नीति बदल दी है। हालांकि, ईसीबी ने कहा कि ट्रांसजेंडर महिलाएं और लड़कियां ओपन और मिक्स्ड क्रिकेट में खेलना जारी रख सकती हैं।
ईसीबी ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा, “रिक्रिएशनल क्रिकेट के लिए हमारे नियमों का उद्देश्य हमेशा यह सुनिश्चित करना रहा है कि क्रिकेट यथासंभव समावेशी खेल बना रहे। इनमें किसी के लिंग की परवाह किए बिना असमानताओं को प्रबंधित करने और सभी खिलाड़ियों के रक्षा करने के उपाय शामिल थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हमारा मानना है कि आज (शुक्रवार) घोषित किए गए बदलाव आवश्यक हैं। हम स्वीकार करते हैं कि इस निर्णय का ट्रांसजेंडर महिलाओं और लड़कियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
“हम अपने नियमों में इस बदलाव से प्रभावित लोगों का समर्थन करने के लिए रिक्रिएशनल क्रिकेट बोर्ड के साथ काम करेंगे। हम समानता और मानवाधिकार आयोग (EHRC) से अद्यतन मार्गदर्शन की प्रतीक्षा कर रहे हैं और इसका सावधानीपूर्वक अध्ययन करेंगे। हम मानते हैं कि दुर्व्यवहार या भेदभाव का हमारे खेल में कोई स्थान नहीं है और हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि क्रिकेट सम्मान और समावेशिता की भावना से खेला जाए।”
यह निर्णय इंग्लिश फुटबॉल एसोसिएशन (FA) की ओर से गुरुवार को दिए गए उस बयान के एक दिन बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि 1 जून से इंग्लैंड में महिला फुटबॉल में ट्रांसजेंडर महिलाएं भाग नहीं ले पाएंगी। बाद में इंग्लैंड नेटबॉल ने भी घोषणा की कि 1 सितंबर से महिला प्रतियोगिता में ट्रांसजेंडर महिलाएं भाग नहीं ले पाएंगी।