इंग्लैंड में भारत ने 93 सालों में सिर्फ तीन सीरीज जीतीं हैं। अजीत वाडेकर, कपिल देव, और राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड में केवल तीन बार टेस्ट सीरीज जीती है, जो भारतीय क्रिकेट की कठिन चुनौतियों को दर्शाता है। इन कप्तानों ने न केवल अपनी रणनीति और नेतृत्व से इतिहास रचा, बल्कि भारतीय क्रिकेट को वैश्विक स्तर पर मजबूत पहचान दिलाई। अब 2025 में शुभमन गिल की कप्तानी में भारतीय टीम एक बार फिर इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीतने की कोशिश करेगी। यह देखना रोमांचक होगा कि क्या गिल इन दिग्गजों की सूची में अपना नाम जोड़ पाएंगे।
अजीत वाडेकर (1971):
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में इंग्लैंड में पहली टेस्ट सीरीज जीत का श्रेय अजीत वाडेकर को जाता है। 1971 में उनकी कप्तानी में भारत ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में इंग्लैंड को 1-0 से हराया। यह जीत भारतीय क्रिकेट के लिए एक मील का पत्थर थी, क्योंकि इससे पहले भारत ने इंग्लैंड में 39 साल और 21 टेस्ट में कोई जीत हासिल नहीं की थी। लॉर्ड्स और मैनचेस्टर में पहले दो टेस्ट ड्रॉ रहे, लेकिन तीसरे टेस्ट में ओवल में भारत ने चार विकेट से जीत हासिल की। इस जीत में भागवत चंद्रशेखर की शानदार गेंदबाजी (मैच में 8 विकेट) और वाडेकर के 204 रनों का योगदान अहम रहा। वाडेकर की रणनीति और शांतचित्त नेतृत्व ने भारतीय टीम को आत्मविश्वास दिया, जिसने विदेशी धरती पर जीतने की नई राह खोली।
कपिल देव (1986):
1983 में वनडे विश्व कप जीतने के बाद कपिल देव ने 1986 में इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीतकर एक और इतिहास रचा। उनकी कप्तानी में भारत ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज को 2-0 से अपने नाम किया। लॉर्ड्स और लीड्स में पहले दो टेस्ट में भारत ने 5 विकेट और 279 रनों से जीत हासिल की, जबकि तीसरा टेस्ट बर्मिंघम में ड्रॉ रहा। कपिल देव का ऑलराउंड प्रदर्शन, दिलीप वेंगसरकर के 360 रन, और चेतन शर्मा (16 विकेट) व मनिंदर सिंह (12 विकेट) की गेंदबाजी ने इस सीरीज में भारत को अजेय बनाया। कपिल की आक्रामक कप्तानी और खिलाड़ियों को प्रेरित करने की क्षमता ने भारत को इंग्लैंड की मुश्किल परिस्थितियों में भी विजयी बनाया। यह जीत भारत की इंग्लैंड में सबसे बड़ी टेस्ट सीरीज जीत थी।
राहुल द्रविड़ (2007):
21वीं सदी में भारत को इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीतने का गौरव राहुल द्रविड़ की कप्तानी में मिला। 2007 में तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में भारत ने 1-0 से जीत हासिल की। नॉटिंघम में खेले गए दूसरे टेस्ट में भारत ने 7 विकेट से जीत दर्ज की, जबकि लॉर्ड्स और ओवल के टेस्ट ड्रॉ रहे। इस सीरीज में जहीर खान ने 18 विकेट और अनिल कुंबले ने 14 विकेट लिए, जबकि दिनेश कार्तिक ने 263 रन बनाए। द्रविड़ की रक्षात्मक और रणनीतिक कप्तानी ने भारतीय गेंदबाजों और बल्लेबाजों को एकजुट रखा, जिससे भारत ने 18 साल बाद इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीती। यह जीत भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण कदम थी, क्योंकि इसके बाद भारत ने विदेशी धरती पर लगातार बेहतर प्रदर्शन करना शुरू किया।