प्रतिबंधित कीटनाशकों का विक्रय होगा अपराध
कृषि विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी भी दुकान में प्रतिबंधित कीटनाशक दवाएं पाई गईं, तो संबंधित दुकानदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान उसका लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी। जिले में रबी और खरीफ फसलों सहित अन्य प्रकार की खेती के लिए 200 से अधिक कीटनाशक विक्रेताओं की दुकानें संचालित हो रही हैं। कृषि विभाग ने इन सभी विक्रेताओं को निर्देश दिए हैं कि वे प्रतिबंधित दवाओं का विक्रय न करें और किसानों को कीटनाशकों के उचित उपयोग के प्रति जागरूक करें। कीटनाशकों के प्रयोग को नियंत्रित करने की पहल
कृषि विभाग का अमला अब मूंग की खेती में कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग को नियंत्रित करने की दिशा में काम कर रहा है। इसके तहत न केवल दुकानों पर कीटनाशकों के दुष्प्रभाव वाले पंपलेट और सूचना पत्र लगाए जाएंगे, बल्कि किसानों को भी जागरूक किया जाएगा कि वे मूंग की फसल में अधिक कीटनाशकों का प्रयोग न करें।
गांव-गांव जाकर किसानों को किया जाएगा जागरूक
कृषि विभाग के अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों को जैव विविधता बढ़ाने और एकीकृत कीट प्रबंधन के तरीकों की जानकारी देंगे। इस पहल के माध्यम से किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ बताए जाएंगे और उन्हें रासायनिक कीटनाशकों के सीमित उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। कृषि विभाग द्वारा जारी इस सख्त नीति के तहत अब किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इससे न केवल किसानों की सेहत सुरक्षित रहेगी, बल्कि फसलों की गुणवत्ता भी बनी रहेगी।
खेतों में हो रहा है कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग
विशेषज्ञों के अनुसार, किसान फसलों को जल्दी पकाने के लिए कीटनाशकों और नींदानाशकों का अधिक उपयोग कर रहे हैं। इस कारण इन दवाओं के अंश फसल में शेष रह जाते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। वर्तमान में किसान अपनी फसल में औसतन 5-6 बार कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं। वहीं, हरी फसल को सुखाने के लिए प्रतिबंधित नींदानाशक दवाओं का भी उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया जनस्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है और गंभीर बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं। गंभीर बीमारियों का बढ़ता खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक कीटनाशक और नींदानाशक दवाओं के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इससे कई प्रकार की गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं। साथ ही, सिंचाई में पानी की खपत बढ़ने से भूमिगत जलस्तर भी लगातार नीचे जा रहा है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।
प्रतिबंधित कीटनाशकों की सूची जारी
उपसंचालक कृषि एवं किसान कल्याण अधिकारी, दतिया के अनुसार, किसानों को कीटनाशकों के स्थान पर प्राकृतिक विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। किसानों को नीम तेल और गोमूत्र से तैयार कीटनाशक दवाओं का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है, ताकि खेती में रासायनिक दवाओं का सीमित और नियंत्रित उपयोग किया जा सके। प्रतिबंधित कीटनाशक दवाएं
- एलुमिनियम फासफाइड
- कार्बोयुरान
- सायपरमेथिन
- फेनिट्रोधियान
- क्लोरपायरीफास
प्रतिबंधित फफूंदनाशी दवाएं
- मैन्कोजेब
- ओक्सीलोरफेन
- ट्राईलुरालिन
- कैपटाफाल
- डाजोमेट
- मैलाथियान
- मिथाइल ब्रोमाइड
- मोनोक्रोटोफास
- क्यूनल्फास