CG News: पूरी हुई तैयारी
रथयात्रा महोत्सव को लेकर श्रीजगदीश मंदिर ट्रस्ट की ओर से तैयारी पूरी कर ली गई है। महोत्सव को लेकर शहरवासियों में भी जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। ऐसी मान्यता है कि महास्नान के बाद भगवान अस्वस्थ हो जाते हैं, जिनका विशेष काढ़ा से उपचार किया जाता है। तीन दिन बाद 22 जून से महाप्रभु को स्वस्थ रखने के लिए विशेष औषधि काढ़ा का भोग लगाया जाएगा। प्रतिदिन सुबह 7.30 बजे श्रद्धालुओं को काढ़ा वितरण किया जाएगा। मंदिर समिति के डॉ हीरा महावर, गोपाल प्रसाद शर्मा ने बताया कि 26 जून सोमवार को सुबह 9.30 बजे विशेष हवन-पूजन के बाद महाप्रभु की प्रतिमा की पुन: प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। पश्चात दूसरे दिन 27 जून को शहर में ऐतिहासिक रथयात्रा निकाली जाएगी। दोपहर 1.30 बजे बैंडबाजे की धुन पर महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा देवी को रथ में विराजमान किया जाएगा। इसके साथ ही वे रथ में सवार होकर जनकपुर ननिहाल जाएंगे। यहां श्री राष्ट्रीय गौशाला (जनकपुर) में 10 दिनों तक विश्राम करने के बाद 1 जुलाई को दोपहर 2.30 बजे वापस लौटेंगे।
जगदीश मंदिर का इतिहास
बता दें कि धमतरी के जगदीश मंदिर में स्थापित मूर्तियों का निर्माण आज से 107 साल पहले ओडिसा के देवीप्रसाद चित्रकार और उनके भाई बालमुकुंद चित्रकार ने किया था। महाप्रभु जगन्नाथ, भैय्या बलभद्र और बहन सुभद्रा तीनों मूर्तियों के निर्माण में ढाई महीने का समय लगा था। सभी मूर्तियां महानीम वृक्ष की शाखाओं से तैयार की गई है। प्रतिमा बनने के कई वर्षों तक देवी प्रसाद चित्रकार धमतरी रथयात्रा महोत्सव में शामिल होते रहे। समय के साथ उन्होंने अपने दामाद कुश महाराणा को इसकी जिमेदारी दी। कुश महाराणा ने अपने पुत्र विक्रम महाराणा को जिमेदारी सौंपी। वर्तमान में उनके पुत्र शिवाशीष 1994 से मूर्ति की देखरेख और नव कलेवर कार्य कर रहे हैं।