जाति प्रमाण पत्र बनाने की दी गई थी जिम्मेदारी
जानकारी के अनुसार, शासकीय प्रायमरी स्कूलों में कक्षा 1 से 3 तक के बच्चों की जाति प्रमाण-पत्र बनाने के आदेश हुए थे। यह प्रक्रिया पिछले 6 महीने से चल रही है। लगातार बैठकों में अफसर ताकीद भी करते रहे, लेकिन जब शिक्षकों ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो उन्हें सबक सिखाने के लिए आला अधिकारियों ने वेतन में कटौती कर दी। मार्च के वेतन में कटौती किया गया। यह भी पढ़े –
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अधिकारिक सूत्रों की मानें तो 823 शिक्षकों का वेतन काटा गया है। इसी प्रकार अपार आइडी के लिए भी अलग से प्रक्रिया चल रही है। शासकीय और निजी स्कूलों अध्ययनरत विद्यार्थियों की यूनिक अपार आइडी बनाई जा रही है। जिसमें छात्र का संपूर्ण डाटा ऑनलाइन अपलोड होना है। इस प्रक्रिया को भी पूरा करने में कई स्कूल पिछड़े हुए हैं।
जिले में 13 ब्लॉक और 2230 प्रायमरी स्कूलें
धार जिले में 13 विकासखंड आते हैं, जिनके अंतर्गत 2230 प्रामयरी स्कूलें संचालित हो रही है। जिनमें अध्ययनरत विद्यार्थियों के जाति प्रमाण-पत्र तैयार करने की जवाबदारी शिक्षकों पर थी, जिन्हें बच्चों के पालकों से दस्तावेज लेकर नजदीकी लोकसेवा सेंटर पर जमा करना था। इस आधार पर बच्चों को स्थाई जाति प्रमाण-पत्र जारी होते हैं। जिनकी मदद से आगे चलकर विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता।
50 प्रतिशत से कम प्रोग्रेस पर कटौती
ट्रायल विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मार्च के आखिरी में कलेक्टर द्वारा जाति प्रमाण-पत्र प्रोग्रेस रिपोर्ट की समीक्षा की थी। इसमें 50 प्रतिशत नीचे प्रगति पर शिक्षकों के वेतन में कटौती की गई है। इनमें टीचर के साथ ही प्रधान पाठक भी शामिल हैं। विभाग द्वारा सभी लापरवाही शिक्षकों को नोटिस भी जारी किए गए हैं। जिसमें स्पष्ट तौर पर लिखा गया कि यदि आगे भी कार्य में सुधार नहीं होता है, तो वेतन की कटौती संभव है। मामले में जनजाति विकास विभाग सहायक संचालक आनंद पाठक ने कहा कि ‘शिक्षकों को जाति प्रमाण-पत्र का कार्य सौंपा गया था। नालछा के शिक्षकों के एरियर का मामला जानकारी में नहीं है। जल्द ही समाधान किया जाएगा।’ यह भी पढ़े –
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जिले के नालछा ब्लॉक में शिक्षकों को वरिष्ठता के आधार पर एरियर राशि का लाभ नहीं मिल पाया है। कारण बीईओ कार्यालय से भेजी गई अधूरी और त्रुटिपूर्ण जानकारी है। दरअसल, शिक्षकों के एरियर का निर्धारण बीईओ कार्यालय से सहायक संचालक कोष एवं लेखा (डीसी कार्यालय) इंदौर को भेजी गई जानकारी पूर्ण नहीं थी। इससे विभाग ने 55 शिक्षकों की एरियर राशि को रिजेक्ट कर दिया। शिक्षकों का कहना है कि पिछले चार से पांच महीने से उन्हें हर महीने एरियर का भुगतान होता था। लेकिन मार्च में अधिकांश की राशि कटकर मिली है। मूल वेतन तो सभी को प्राप्स हुआ। लेकिन एरियर की राशि अटक गई है। जिम्मेदारों के उदासीन रवैये से शिक्षक परेशान है।