किसके उपासक होते हैं अघोरी
अघोरी साधुओं का जीवन बहुत रहस्यमयी होता है। यह भगवान शिव और मां काली के सच्चे उपासक होते हैं। अघोरी शब्द संस्कृत भाषा से निकला है, जिसका अर्थ है निर्भय। यह भारतीय तंत्र परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाते हैं। अघोरी बनने के लिए साधना, त्याग, और एक विशेष जीवनशैली को अपनाना पड़ता है। यह अपने तन पर भस्म रमाते हैं, गले में रुद्राक्ष की माला और नर मुंड धारण करते है। अघोरी बनने की प्रक्रिया
अघोरी बनने के लिए साधकों को कठिन तपस्या और साधना करनी पड़ती है। सबसे पहले, वे किसी गुरु की शरण में जाते हैं, जो उन्हें तंत्र विद्या और योग का ज्ञान देते हैं।
गुरु की शरण: अघोरी बनने का पहला कदम गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना है। गुरु अपने शिष्य को तंत्र और साधना के गहरे रहस्यों से परिचित कराते हैं। त्याग और तपस्या: अघोरी बनने के लिए साधक को सभी भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग करना होता है।
शमशान साधना: अघोरी अपनी साधना का मुख्य भाग शमशान में करते हैं, क्योंकि इसे तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र माना जाता है। भय का त्याग: अघोरी बनने के लिए साधक को हर प्रकार के भय, विशेषकर मृत्यु के भय, से मुक्त होना पड़ता है।
अघोरी जीवन का रहस्य
अघोरी साधुओं का जीवन सरलता और आध्यात्मिकता से भरा होता है। वे समाज की परंपरागत मान्यताओं से परे रहते हैं।
आवास और भोजन: अघोरी आमतौर पर शमशान घाटों या जंगलों में रहते हैं। वे अपना भोजन भिक्षा मांगकर, जड़ी-बूटियों से, या कभी-कभी तंत्र साधना के अनुसार ग्रहण करते हैं।
आध्यात्मिक साधना: अघोरी तंत्र मंत्र, ध्यान, और योग के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। वेशभूषा: उनकी वेशभूषा भी विशिष्ट होती है। वे आमतौर पर राख से अपने शरीर को ढकते हैं और साधारण कपड़े पहनते हैं।
मृत्यु का अनुभव: अघोरी मृत्यु को जीवन का हिस्सा मानते हैं और इसका अनुभव करने के लिए शमशान में साधना करते हैं।
अघोरी और समाज
अघोरी साधुओं का समाज के प्रति दृष्टिकोण दया और करुणा पर आधारित होता है। हालांकि, उनका जीवन समाज से दूर रहता है, लेकिन वे दूसरों की भलाई के लिए तंत्र विद्या का उपयोग करते हैं। अघोरी साधु भारतीय संस्कृति और तंत्र साधना का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनका जीवन कठिनाइयों और रहस्यों से भरा हुआ होता है। अघोरी बनने के लिए साधक को मानसिक और शारीरिक रूप से अत्यंत मजबूत होना पड़ता है। उनका जीवन आत्मज्ञान, त्याग, और ध्यान का प्रतीक है।
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