दरअसल, गिर्राज सिंह मलिंगा पर विधायक रहते हुए बिजली विभाग के एईएन और जेईएन पर हमला करने का आरोप है। मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मलिंगा ने 20 नवंबर को धौलपुर जिले की एससी-एसटी कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। मारपीट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 8 नवंबर को सुनवाई के दौरान मलिंगा को 2 हफ्ते में सरेंडर करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि सरेंडर के 4 हफ्ते बाद कोर्ट मामले की सुनवाई शुरू करेगी जिसके लिए 13 दिसंबर की तारीख तय थी। 13 दिसंबर यानी शुक्रवार को SC ने मामले में सुनावाई करते हुए पूर्व विधायक को जमानत दे दी।
जानिए पूरा मामला
गौरतलब है कि जेवीवीएनएल के AEN हर्षाधिपति वाल्मीकि की ओर से मार्च, 2022 में धौलपुर के बाड़ी थाने में पूर्व विधायक और BJP नेता
गिर्राज सिंह मलिंगा और उसके साथियों पर मारपीट करने सहित SC-ST एक्ट के तहत मामला दर्ज करवाया था। मामला तूल पकड़ने के बाद पूर्व विधायक गिर्राज मलिंगा ने मई 2022 में जयपुर कमिश्नरेट में आत्मसमर्पण कर दिया था, लेकिन 17 मई 2022 को उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी।
इसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने 5 जुलाई 2024 को उनकी जमानत याचिका रद्द कर दी और उन्हें 30 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। वे सुप्रीम कोर्ट से राहत पाने की उम्मीद में थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें बड़ा झटका मिला है।
मलिंगा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें उनकी जमानत खारिज कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि पहले सरेंडर हों, उसके बाद ही इस केस में आगे की सुनवाई करेंगे।