मध्यान्ह भोजन में बच्चों को परोस रहे चावल और आलू व सोयाबीन की बड़ी
निरीक्षण में एमडीएम वितरण में मिली खामी अब जनपद की बैठक में उठाएंगे मुद्दाकरंजिया. विकासखंड करंजिया के अंतर्गत संकुल गोपालपुर के एकीकृत माध्यमिक शाला में मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता को लेकर गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। बच्चों को दिए जा रहे भोजन में न केवल गुणवत्ता की कमी पाई गई, बल्कि सरकारी निर्देशानुसार निर्धारित मेन्यू […]
निरीक्षण में एमडीएम वितरण में मिली खामी अब जनपद की बैठक में उठाएंगे मुद्दा
करंजिया. विकासखंड करंजिया के अंतर्गत संकुल गोपालपुर के एकीकृत माध्यमिक शाला में मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता को लेकर गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। बच्चों को दिए जा रहे भोजन में न केवल गुणवत्ता की कमी पाई गई, बल्कि सरकारी निर्देशानुसार निर्धारित मेन्यू का भी पालन नहीं हो रहा है। जनपद सदस्य मधुवन दुर्वे और चौरादादर सरपंच मंती बाई पेंड्रो के औचक निरीक्षण के दौरान कई खामियां सामने आई है, इसे लेकर उन्होने तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
मेन्यू के अनुसार नहीं मिल रहा भोजन
मध्यान्ह भोजन योजना का उद्देश्य बच्चों को पोषणयुक्त आहार उपलब्ध कराना है ताकि उनकी शारीरिक और मानसिक विकास में कोई बाधा न आए। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि बच्चों को नियमित रूप से मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं दिया जा रहा है। बच्चों को चावल और आलू-सोयाबीन की बड़ी वाली सब्जी दी जा रही थी, जबकि मेनू में दाल, हरी सब्जियां, दही, फल और विशेष व्यंजन शामिल होने चाहिए। इस लापरवाही से बच्चों का पोषण स्तर प्रभावित हो रहा है।
बच्चों की चुप्पी ने खोली पोल
निरीक्षण के दौरान जब जनपद सदस्य और सरपंच ने बच्चों से पूछा कि उन्हें रोजाना कौन-कौन से व्यंजन परोसे जाते हैं, तो बच्चे जवाब देने में झिझकते नजर आए। उनकी चुप्पी ने यह साफ कर दिया कि भोजन की गुणवत्ता और मेनू की अनदेखी की जा रही है।
कर्मचारियों को फटकार, सुधार के निर्देश
जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर जनपद सदस्य मधुबन दुर्वे और सरपंच मंती बाई पेंड्रो ने स्कूल कर्मचारियों को फटकार लगाई। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सरपंच मंती बाई पेंड्रो ने कहा हमारी जिम्मेदारी है कि बच्चों को सही पोषण और शिक्षा मिले। इस तरह की लापरवाही योजना की साख को खत्म करती है और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। संबंधित अधिकारियों को तुरंत इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।
अभिभावकों में नाराजगी
मामला सामने आने के बाद स्थानीय अभिभावकों में नाराजगी है। कई अभिभावकों ने कहा कि बच्चों ने पहले भी भोजन की गुणवत्ता को लेकर शिकायत की थी, लेकिन उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया गया। एक अभिभावक ने कहा मध्यान्ह भोजन योजना का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक आहार देना है, लेकिन अगर मेनू का पालन नहीं हो रहा है, तो यह बच्चों के अधिकारों का हनन है। प्रशासन को इसे तुरंत ठीक करना चाहिए।
प्रशासन और निगरानी प्रणाली पर सवाल
यह घटना केवल स्कूल स्तर की समस्या नहीं है, बल्कि प्रशासन और शिक्षा विभाग की निगरानी प्रणाली पर भी सवाल खड़े करती है। नियमित निरीक्षण और गुणवत्ता जांच की कमी के चलते इस तरह की लापरवाही सामने आई है। जनपद सदस्य और सरपंच ने इस मामले को जनपद पंचायत की आगामी बैठक में उठाने का निर्णय लिया है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
बच्चों को संतुलित पोषण आहार मिले
मध्यान्ह भोजन योजना का उद्देश्य न केवल बच्चों को स्कूल में आकर्षित करना है, बल्कि उन्हें संतुलित आहार प्रदान कर उनकी सेहत और शिक्षा को बेहतर बनाना भी है। योजना के तहत दिए जाने वाले भोजन में प्रोटीन, विटामिन, खनिज और कार्बोहाइड्रेट का संतुलन होना चाहिए। यदि मेनू का पालन नहीं किया जाता, तो इसका सीधा असर बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है। यह घटना सरकार द्वारा चलाई जा रही इस महत्वपूर्ण योजना को कमजोर करती है।
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