क्या होता है JAG(Judge Advocate General)
JAG अधिकारी वकील होते हैं जो सेना के भीतर काम करते हैं, कानूनी सलाह देते हैं और विभिन्न कानूनी मामलों में सशस्त्र बलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। JAG सेना की कानूनी और जरुरी कर्तव्यों के लिए काम करते हैं।
JAG: सुप्रीम कोर्ट में याचिका हुई थी दाखिल
एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की थी कि JAG(Judge Advocate General) में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग SSB और मेरिट लिस्ट क्यों बनाई जाती है, जबकि यह एक गैर-कॉम्बैट (गैर-लड़ाकू) विभाग है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन शामिल हैं, ने इस पर फैसला सुरक्षित रखकर सरकार से जवाब मांगा था।
ऑपरेशनल जरूरतों के हिसाब से भर्तियां होती हैं
सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि सेना में ऑपरेशनल जरूरतों के हिसाब से भर्तियां होती हैं और महिलाओं को फिलहाल उन स्थानों पर तैनात नहीं किया जाता जहां दुश्मन से आमना-सामना हो सकता है, जैसे कि काउंटर-टेररिज़्म ऑपरेशन (जैसे राष्ट्रीय राइफल्स और असम राइफल्स)। सरकार ने यह भी कहा कि पुरुष JAG अधिकारी केवल कानूनी काम ही नहीं करते, उन्हें आर्टिलरी यूनिट्स में लगाया जाता है और जरूरत पड़ने पर उन्हें युद्ध में लड़ाई के लिए भी उतारा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, इन अधिकारियों को श्रीलंका में I PKF मिशन और कारगिल युद्ध में भी शामिल किया गया था।
JAG: महिला भर्ती का अनुपात पहले से बढ़ा
सरकार ने यह भी कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति अलग है। हमारे पड़ोसी देशों से लगातार खतरा बना रहता है। इसलिए भारतीय सेना को हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहना पड़ता है। सरकार ने यह भी कहा कि सेना में महिलाओं की भागीदारी धीरे-धीरे बढ़ रही है और यह प्रक्रिया समय-समय पर समीक्षा के बाद आगे बढ़ाई जाती है। जैग में पहले भर्ती का अनुपात 70:30 (पुरुष:महिला) था, जिसे अब 50:50 कर दिया गया है।