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NEET-UG परीक्षा के माध्यम से देशभर के एमबीबीएस, बीडीएस, बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (BAMS), बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी (BUMS), और बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (BHMS) जैसे कोर्सों में दाखिला होता है। वर्तमान में, देशभर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 1.10 लाख से अधिक सीटें खाली है। पिछले वर्ष इस परीक्षा के लिए लगभग 24 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया था। इस वर्ष अनुमान लगाया जा रहा है कि आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की संख्या 28 लाख से 30 लाख तक पहुंच सकती है।
NEET UG 2025: 28 से 30 लाख उम्मीदवार हो सकते हैं शामिल
NEET-UG परीक्षा के माध्यम से देशभर के एमबीबीएस, बीडीएस, बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (BAMS), बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी (BUMS), और बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (BHMS) जैसे कोर्सों में दाखिला होता है। वर्तमान में, देशभर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 1.10 लाख से अधिक सीटें खाली है। पिछले वर्ष इस परीक्षा के लिए लगभग 24 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया था। इस वर्ष अनुमान लगाया जा रहा है कि आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की संख्या 28 लाख से 30 लाख तक पहुंच सकती है।
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कंप्यूटर आधारित परीक्षा करवाने में मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पहली चुनौती यह थी कि इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के लिए परीक्षा को कंप्यूटर आधारित मोड में आयोजित करना एक बड़ी चुनौती है। यदि इसे ऑनलाइन मोड में आयोजित किया जाए, तो इसे 10 दिनों तक खींचना पड़ेगा, और विभिन्न शिफ्टों में प्रश्नपत्र तैयार करना तथा विश्वसनीय परीक्षा केंद्र सुनिश्चित करना आसान नहीं होगा। मीडिया से बात करते हुए एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि कंप्यूटर आधारित परीक्षा में प्रश्नपत्र बहुत कम हाथों से गुजरते हैं, जिससे पेपर लीक जैसी समस्याओं का जोखिम कम हो जाता है। लेकिन 30 लाख छात्रों के लिए कंप्यूटर आधारित परीक्षा आयोजित करवाना इतना आसान नहीं होगा।
NEET 2025: ऑनलाइन मोड में संसाधनों की थी चुनौती
कंप्यूटर आधारित परीक्षा करवाने में मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पहली चुनौती यह थी कि इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के लिए परीक्षा को कंप्यूटर आधारित मोड में आयोजित करना एक बड़ी चुनौती है। यदि इसे ऑनलाइन मोड में आयोजित किया जाए, तो इसे 10 दिनों तक खींचना पड़ेगा, और विभिन्न शिफ्टों में प्रश्नपत्र तैयार करना तथा विश्वसनीय परीक्षा केंद्र सुनिश्चित करना आसान नहीं होगा। मीडिया से बात करते हुए एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि कंप्यूटर आधारित परीक्षा में प्रश्नपत्र बहुत कम हाथों से गुजरते हैं, जिससे पेपर लीक जैसी समस्याओं का जोखिम कम हो जाता है। लेकिन 30 लाख छात्रों के लिए कंप्यूटर आधारित परीक्षा आयोजित करवाना इतना आसान नहीं होगा।
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दूसरी वजह यह रही कि ग्रामीण इलाकों के छात्रों की संख्या काफी अधिक है, जो डॉक्टर बनने का सपना देखते हैं। अधिकारियों का मानना है कि शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र कंप्यूटर आधारित परीक्षा के लिए उतने तैयार नहीं हैं। ऐसे में, परीक्षा से कुछ महीने पहले अचानक मोड बदलने से ग्रामीण छात्रों को नुकसान हो सकता है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में परीक्षा को ऑनलाइन मोड में आयोजित करने की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया गया है।
NEET UG 2025: ग्रामीण छात्रों के हित में हुआ फैसला
दूसरी वजह यह रही कि ग्रामीण इलाकों के छात्रों की संख्या काफी अधिक है, जो डॉक्टर बनने का सपना देखते हैं। अधिकारियों का मानना है कि शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र कंप्यूटर आधारित परीक्षा के लिए उतने तैयार नहीं हैं। ऐसे में, परीक्षा से कुछ महीने पहले अचानक मोड बदलने से ग्रामीण छात्रों को नुकसान हो सकता है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में परीक्षा को ऑनलाइन मोड में आयोजित करने की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया गया है।