इस साउथ सुपरस्टार की अपने ही बेटे से हुई दुश्मनी, दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ दर्ज कराई FIR?
फिल्म जगत से जुड़ी एक बुरी खबर सामने आई है। 500 फिल्में करने वाले सुपरस्टार मोहन बाबू और उनके बेटे की लड़ाई पुलिस तक पहुंच गई है। दोनों एक दूसरे के जानी दुश्मन बन गए हैं। जानें पूरा मामला?
अभिनेता मांचू मनोज ने अपने पिता और दिग्गज अभिनेता डॉ. एम. मोहन बाबू द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत में लगाए गए आरोपों को ‘झूठा और निराधार’ बताया। उन्होंने उल्टा आरोप लगाया कि उनके पिता ने उनके साथ ‘गलत व्यवहार’ किया।
मोहन बाबू द्वारा राचकोंडा पुलिस आयुक्त को लिखे गए पत्र के सामने आने के बाद मनोज ने एक बयान जारी किया। दिग्गज अभिनेता ने अपने बेटे मनोज और बहू के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। अभिनेता ने खुद के लिए तथा अपनी प्रॉपर्टी के लिए पुलिस सुरक्षा मांगी।
एक दूसरे पर लगाए गंभीर आरोप
मनोज ने कहा कि उनके पिता द्वारा लगाए गए आरोप उन्हें बदनाम करने, उनकी आवाज दबाने और पारिवारिक कलह करने की उद्देश्य से लगाए गए हैं। मनोज ने कहा, “मैंने कभी संपत्ति या विरासत नहीं मांगी। मैं किसी को भी इसके खिलाफ सबूत पेश करने की चुनौती देता हूं।”
मनोज ने पिता पर आरोप लगाते हुए कहा, “मेरे त्याग के बावजूद मेरे साथ गलत व्यवहार किया गया और मुझे बदनाम तथा परेशान किया गया।” उन्होंने विष्णु पर पारिवारिक संसाधनों का दुरुपयोग करने तथा निजी लाभ के लिए पारिवारिक नाम का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा परिवार के साथ रहने का समर्थन किया है।”
अभिनेता ने कहा, “मेरे पिता के नजरिए ने मुझे बचपन से ही प्रेरित किया और वह आज भी मेरा मार्गदर्शन करता है। मेरा ध्यान परिवार के नाम की रक्षा करने तथा उन लोगों की भलाई करने पर है, जिन्होंने हम पर भरोसा किया है।”
मनोज ने इस बात पर किया था विरोध
मनोज ने अपनी सात महीने की बेटी को विवाद में घसीटने पर भी कड़ी आपत्ति जताई तथा इसे “बुरा और अमानवीय” बताया। मनोज ने यह भी आरोप लगाया कि विष्णु के सहयोगी विजय रेड्डी और किरण ने घर से सीसीटीवी ड्राइव हटा दिए। उन्होंने मामले की गहन जांच की मांग की।
युवा अभिनेता ने दावा किया कि वह हमेशा स्वतंत्र रहे हैं, कड़ी मेहनत, प्रतिभा और अपने शुभचिंतकों के आशीर्वाद से अपना करियर बना रहे हैं, जबकि उनके भाई विष्णु को परिवार के अटूट समर्थन का लाभ मिलता रहा।
मनोज ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप तब लगाए गए जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से एमबीयू के छात्रों और स्थानीय व्यवसायों का समर्थन किया, जिनका विष्णु और उनके सहयोगी विनय माहेश्वरी द्वारा शोषण किया जा रहा था।