भाजपा का आरोप: सनातन परंपरा का अपमान
भाजपा ने इस घटना को सनातन धर्म और धार्मिक परंपराओं का अपमान करार दिया है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “जो लोग व्यासपीठ पर बैठे आचार्य का अपमान कर रहे हैं, वे समाज को जाति के नाम पर बांटना चाहते हैं। सपा ऐसे गुंडों की सरपरस्ती कर रही है। 2027 में सपा का सफाया तय है।”
अखिलेश यादव का पलटवार, आंदोलन की चेतावनी
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने घटना को लेकर ट्वीट करते हुए लिखा, “कथावाचकों के साथ जातिगत भेदभाव और अमानवीय व्यवहार संविधान के खिलाफ है। अगर तीन दिनों में दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो पीडीए वर्ग के सम्मान की रक्षा के लिए बड़ा आंदोलन किया जाएगा।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि कथावाचन क्या केवल कुछ जातियों का विशेषाधिकार है?
ओम प्रकाश राजभर की नाराजगी
मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी कथावाचक के साथ दुर्व्यवहार की निंदा की और कहा कि ऐसी घटनाएं सामाजिक सौहार्द बिगाड़ती हैं। उन्होंने प्रशासन से निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
कांग्रेस और बसपा की प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि, “भाजपा धर्म के नाम पर भावनाएं भड़का रही है। यह कानून-व्यवस्था की विफलता है, न कि कोई धार्मिक षड्यंत्र।” बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी कहा कि ऐसी घटनाएं जातीय तनाव को बढ़ावा देती हैं, सरकार को निष्पक्ष जांच करानी चाहिए। ब्राह्मण महासभा ने उठाए सवाल
ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष अरुण दुबे ने इटावा एसएसपी से मुलाकात कर कहा कि कथावाचकों पर भी गंभीर आरोप हैं, एकतरफा कार्रवाई न की जाए। पुलिस ने पांच दिन के भीतर निष्पक्ष कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
पुलिस ने मामले में जांच शुरू कर दी है। गांव में अतिरिक्त फोर्स तैनात है और सीसीटीवी फुटेज की जांच हो रही है। पुलिस का दावा है कि हालात नियंत्रण में हैं और किसी भी उपद्रवी को छोड़ा नहीं जाएगा। इटावा की इस घटना ने जहां स्थानीय स्तर पर तनाव बढ़ाया है, वहीं प्रदेश की राजनीति में भी एक बार फिर धर्म और जाति की बहस को तेज कर दिया है।