CG News: ज्यादातर किसान बैंक की व्यवस्थागतम खामियों से परेशान
प्रभावितों की मानें तो
बैंक के कर्मचारी उन्हें ज्यादा पैसे निकालने से रोक रहे हैं। इसके पीछे ठीक-ठीक कारण तो नहीं बताया गया, लेकिन बैंक में ही कम पैसे होने की चर्चा किसानों के बीच जोरों पर है। किसानों का कहना है कि अभी शादी-ब्याह का सीजन है। कृषि उपकरणों की खरीदारी समेत और भी दूसरे खर्च हैं। इसके लिए अभी ज्यादा पैसों की जरूरत है। ऐसे वक्त में बैंक हमें हमारे ही पैसे देने से इनकार कर रहा है। व्यवस्था कभी बिगड़े तो समझ आता है। यहां बारो मास यही हाल है। जिले के ज्यादातर किसान बैंक की व्यवस्थागतम खामियों से परेशान हो चुके हैं।
सोसाइटियों के माइक्रो एटीएम भी कारगर नहीं
सरकार ने सोसाइटियों में माइक्रो एटीएम की व्यवस्था की है। किसान यहां से एक दिन में 10 हजार रुपए तक निकाल सकते हैं। बहुत से किसानों को इस बारे में जानकारी ही नहीं है। पैसे निकालने के लिए वे सीधे जिला मुख्यालय का सफर तय करते हैं। जिन किसानों को इसकी जानकारी है, उनके लिए माइक्रो एटीएम में विथड्रॉल की लिमिट कम होना सिरदर्दी है। कई जगहों पर स्टाफ के तकनीकी जानकारी में अभाव, तो कहीं मशीनें बिगड़ने की वजह से किसानों को माइक्रो एटीएम का फायदा नहीं मिल पा रहा है।
54 गांवों के किसानों का खाता जिला सहकारी बैंक
भारी किल्लतों के बीच किसानों ने जैसे-तैसे धान बेचा। अब अपनी ही मेहनत के पैसे निकालने में उनके पसीने छूट रहे हैं। बता दें कि जिले के 54 गांवों के किसानों का खाता जिला सहकारी बैंक में है। सरकार ने धान के पैसे इन्हीं खातों में डाले हैं। अब जब किसान यहां पैसे निकालने पहुंच रहे हैं, तो पहले भारी-भरकम भीड़ से सामना होता है। लाइन लगाकर घंटों इंतजार के बाद बारी आने पर ज्यादातर किसानों को अगली तारीख मिलती है। इस दिन बैंक पहुंचने पर भी पूरा भुगतान नहीं हो पा रहा है। वादा किया, निभाया नहीं, खा रहे हैं धक्के
किसानों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा, विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने कई गारंटियां दी थीं। इसमें किसानों के लिए पैसों के भुगतान को आसान बनाने की बात भी थी। राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद समस्या उल्टे और बढ़ गई है। किसानों की मांग है कि ग्रामीण स्तर पर ही पैसों के त्वरित भुगतान की सुविधा कराएं।
बैंक को लेकर किसानों में एक आम अवधारणा बन चुकी है कि कल पैसे चाहिए तो आज बैंक जाओ। दरअसल, सहकारी बैंक में गेट खुलने से पहले ही परिसर से लेकर रोड तक किसानों की भीड़ लग जाती है। ज्यादातर बार किसान अपनी अर्जिया इकट्ठी कर एकसाथ काउंटर में दे देते हैं। इन्हें बारी-बारी अंदर बुलाया जाता है। पहले जिनका नंबर लग गया, उन्हें भीड़ भी ऐसे देखती है मानो नसीब खुल गए।
पैसे निकालने की लिमिट फिक्स
CG News: खैर, अर्जियों पर कार्रवाई धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। किसी ने ज्यादा रकम लिख दी है, तो उसे कम पैसे निकालने के लिए मनाया जाता है। इसी बीच पिछले दिनों के पेंडिंग भुगतान निपटाए जाते हैं। बाकियों से कहा जाता है कि वे अगले दिन आएं। शाम को आना बेकार साबित होता है क्योंकि अर्जी लगती तो है पर इस पर कोई प्रक्रिया नहीं हो पाती। ऐसे में 2-2 दिन की वेटिंग मिलती है। गरियाबंद, शाखा प्रबंधक जिला
सहकारी बैंक, हरिराम ध्रुव: पैसे निकालने की लिमिट फिक्स है। रोज भुगतान कर रहे हैं। पंचायतों में भुगतान को लेकर अब तक ऊपर से कोई दिशा-निर्देश नहीं आए हैं। पांडुका क्षेत्र के मंडी प्रबंधक अपने रिस्क पर भुगतान करना चाहें, तो हम पैसे दे देंगे। लोग अपने रिश्क में ले जाकर भुगतान करना चाहे तो हम दे देंगे। जहां तक शौचालय की बदहाली की बात है, तो इसे यहां आने-जाने वालों ने ही तहस-नहस किया है। इसके बाद शौचालय को बंद करना पड़ा।