विहिप का ध्येय वाक्य “धर्मो रक्षति रक्षित:”
उपस्थित पदाधिकारीयों को संबोधित करते हुए क्षेत्र संगठन मंत्री गजेंद्र ने कहा कि विहिप का चिन्ह बरगद का पेड़ है यानी वट वृक्ष है और इसका ध्येय वाक्य, “धर्मो रक्षति रक्षित:” यानी जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। यहाँ धर्म का मूल अर्थ किसी व्यक्ति कि आत्मा के मूल कर्तव्य से है ना कि किसी धर्म विशेष से है ।
संपूर्ण विश्व में हिंदुओं की सामाजिक, सांस्कृतिक संस्था
विश्व हिन्दू परिषद भारत तथा विदेश में रह रहे हिंदुओं की एक सामाजिक, सांस्कृतिक संस्था है, सेवा इसका प्रधान गुण है। इसकी स्थापना हिन्दुओं के धर्माचार्यों और संतों के आशीर्वाद तथा विश्व विख्यात दार्शनिकों और विचारकों के परामर्श से हुई है। उन्होंने उपस्थित प्रशिक्षार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप लोग विषय गर्मी में अपना समय निकालकर धर्म और समाज के लिए आए हैं तो इन दस दिनों में ज्यादा से ज्यादा ज्ञान अर्जित करके जाएं ताकि समाज के लिया हम प्रेरणा बन सके।
कार्यकर्ताओं का निर्माण वर्गों के माध्यम से होता है
आगामी दस दिन में परिषद शिक्षा वर्ग में पदाधिकारीयों को बौद्धिक और मानसिक रूप से सुदृढ़ बनाया जाता है। वर्ग में विश्व हिंदू परिषद काशी और गोरक्ष प्रांत के संगठनात्मक जिलों के 200 से ज्यादा पदाधिकारी शिक्षार्थी के रूप में भाग ले रहे है।उद्घाटन सत्र में गोरक्ष प्रांत संगठन मंत्री राजेश ने प्रशिक्षार्थियों को व्यवस्था संबंधित जानकारी दी। संचालन अश्वनी ओझा ने किया।
इनकी रही उपस्थिति
उद्घाटन में मुख्य रूप से काशी प्रांत संगठन मंत्री नितिन कुमार, सत्यप्रकाश, राकेश, गोरक्ष प्रांत सह संगठन मंत्री दीपेश, गोरक्ष प्रांत मंत्री नागेंद्र सिंह, सह मंत्री सगुण श्रीवास्तव और मंगलदेव चौबे,उपाध्यक्ष सत्यप्रकाश सिंह, कोषाध्यक्ष डॉ आरपी शुक्ल, दुर्गेश त्रिपाठी, डा डीके सिंह, विभाग संगठन मंत्री दिव्यांशु, महानगर संगठन मंत्री सोमेश,आरके सिंह, अनूप, विनोद, शीतल,संजीत श्रीवास्तव, अमित आदि प्रशिक्षार्थियों के साथ उपस्थित रहे।