जानें हाईकोर्ट ने क्या कहा?
हाई कोर्ट (MP high Court) ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए एफआइआर को रद्द किया जा सकता है। एफआइआर निरस्त करने के लिए जिस तरह याचिका लगाई है, उसे देखकर लग रहा है कि लोगों ने अपने स्वयं के विवाद खत्म करने के लिए पुलिस (MP Police) के वैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। याचिकाकर्ता से पूछा गया कि पुलिस को आपराधिक कार्रवाई व जांच में लगाने के लिए कितना मुआवजा भुगतान करेंगे। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने मुआवजा देने से मना कर दिया। इस पर कोर्ट ने मुआवजा नहीं देने पर याचिका खारिज कर दी। गौरतलब है कि मामले में शिकायतकर्ता रायसिंह जाट के बेटे को डराने के लिए मोनू जाट ने हवाई फायर किया था। यह गोली कार में लगी थी।