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हरदोई

Hardoi News: हरदोई में तालाब में डूबे तीन मासूम, प्रशासन ने जताया दुख, अधिकारी पहुंचे चीरघर

Tragedy in Hardoi: हरदोई जिले के टडियावा क्षेत्र के गौरा डांडा गांव में तालाब में डूबने से तीन मासूम बच्चों की मौत हो गई। घटना के बाद जिलाधिकारी अनुनय झा व पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर सांत्वना दी और आवश्यक सहायता का आश्वासन दिया।

हरदोईJun 22, 2025 / 01:01 pm

Ritesh Singh

टड़ियावां में मासूमों की डूबने से मौत, डीएम-SP ने परिजनों को दी सांत्वना फोटो सोर्स : Social media

टड़ियावां में मासूमों की डूबने से मौत, डीएम-SP ने परिजनों को दी सांत्वना फोटो सोर्स : Social media

Hardoi Pond Tragedy: टड़ियावां विकासखंड के अंतर्गत गौरा डांडा ग्राम की त्रासदीपूर्ण घटना ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है। शुक्रवार को गांव के तालाब में डूबने से तीन मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। घटना के बाद से गांव में मातम पसरा हुआ है और पीड़ित परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल है। इस संवेदनशील घटना की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी अनुनय झा एवं पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने सक्रियता दिखाते हुए मौके पर पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उन्हें सांत्वना प्रदान की। शनिवार को दोनों वरिष्ठ अधिकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय परिसर में स्थित चीरघर (पोस्टमार्टम हाउस) पहुंचे, जहां मृत बच्चों के शवों का पोस्टमार्टम चल रहा था। अधिकारियों ने वहां पीड़ित परिवार के सदस्यों से मिलकर शोक व्यक्त किया और उन्हें ढांढस बंधाया।

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तालाब में डूबने से गई तीन मासूमों की जान

जानकारी के अनुसार, गौरा डांडा गांव के तीन मासूम बच्चे शुक्रवार को दोपहर तालाब के किनारे खेल रहे थे। अचानक संतुलन बिगड़ने से तीनों बच्चे पानी में गिर गए और गहराई में चले गए। जब तक ग्रामीण कुछ समझ पाते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। स्थानीय लोगों ने तत्काल रेस्क्यू कर उन्हें बाहर निकाला और नजदीकी अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस दुखद घटना ने गांव ही नहीं, पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है।
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पीड़ित परिवारों को शासन की ओर से हर संभव सहायता

जिलाधिकारी अनुनय झा ने चीरघर पहुंचकर अधिकारियों को निर्देश दिए कि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शीघ्रता से पूरी की जाए ताकि शवों को परिजनों को सौंपा जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि पीड़ित परिवारों को नियमानुसार दैवीय आपदा राहत योजना के अंतर्गत तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। उन्होंने अधिकारियों से कहा, “घटना जितनी पीड़ादायक है, उतनी ही संवेदनशील भी। प्रशासन की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि पीड़ित परिवार को राहत दी जाए और घटना के कारणों की निष्पक्ष जांच हो। यदि इसमें अवैध खनन जैसी कोई गतिविधि सामने आती है, तो संबंधितों की जवाबदेही तय करते हुए कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।”
फोटो सोर्स : Social media

प्रशासनिक अमले की मौजूदगी

इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) प्रफुल्ल त्रिपाठी, प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी धीरेन्द्र कुमार, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. अनिल कुमार शुक्ल सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने घटना की गंभीरता को देखते हुए समन्वय बनाकर कार्यवाही को सुनिश्चित किया।
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ग्रामीणों में आक्रोश और सवाल

घटना के बाद गांव के लोगों में आक्रोश और गहरी चिंता देखी गई। ग्रामीणों का कहना था कि तालाब के चारों ओर सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे इस प्रकार की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। उन्होंने प्रशासन से तालाब की घेराबंदी, चेतावनी बोर्ड लगाने और बच्चों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की मांग की है।
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बच्चों की पहचान और पारिवारिक पृष्ठभूमि

मृत बच्चों की पहचान आरव (8 वर्ष), सुमित (9 वर्ष) और तनु (7 वर्ष) के रूप में हुई है। तीनों अलग-अलग परिवारों से थे और गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई करते थे। बच्चों के पिता मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। उनके घरों में मातम पसरा हुआ है और पूरे गांव में शोक की लहर है।
फोटो सोर्स : Social media

मुख्यमंत्री कार्यालय से भी निगरानी

जैसे ही यह खबर वायरल हुई, मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। साथ ही प्रशासन को निर्देशित किया गया है कि पीड़ित परिवारों को तत्काल राहत पहुंचाई जाए और भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों, इसके लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।
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सामाजिक संगठनों की मांग

घटना के बाद कई सामाजिक संगठनों और बाल संरक्षण आयोग ने संज्ञान लेते हुए बच्चों की सुरक्षा के लिए ग्रामीण इलाकों में तालाबों की स्थिति की व्यापक जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि ग्रामीण बुनियादी संरचनाओं की खामियों का प्रतिफल है। यदि समय रहते चेतावनी और सुरक्षा उपाय किए गए होते, तो इन मासूमों की जान बच सकती थी।
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गौरा डांडा गांव की यह दर्दनाक घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे बच्चों की सुरक्षा के लिए कितनी तैयारियां हैं। प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी त्रासदियों की पुनरावृत्ति न हो। फिलहाल, शासन-प्रशासन शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ा है और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दे रहा है। परंतु यह तभी संभव है जब वादे से अधिक कार्रवाई पर जोर दिया जाए।

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