क्या है पार्थेनियम? (What is Parthenium?)
पार्थेनियम (Parthenium) एक विदेशी घास है जो मूल रूप से सेंट्रल अमेरिका से आई है और भारत में 1950 के दशक में पहुंची। आज यह देशभर में तेजी से फैल चुकी है — हाईवे, खेत, रेलवे ट्रैक, पार्क और यहां तक कि शहरों में भी।सांस से जुड़े खतरे: छिपा दुश्मन
जब पार्थेनियम (Parthenium) में फूल आते हैं, तब यह घास बहुत सूक्ष्म कण और परागकण (Pollen) हवा में छोड़ती है। यह कण सांस के साथ आपके शरीर में चले जाते हैं और अगर आपकी इम्यून सिस्टम या फेफड़े कमजोर हैं, तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं।किन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा?
पार्थेनियम (Parthenium) हर किसी को नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन कुछ लोग ज्यादा प्रभावित होते हैं:लक्षण पहचानें — वक्त रहते
अगर आप नीचे दिए गए लक्षणों को नजरअंदाज कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए: – रोज सुबह छींक आना या नाक बंद रहना– बिना मेहनत के भी सांस फूलना
– लगातार सूखी खांसी
– आंखों में खुजली या पानी
– इनहेलर का बार-बार इस्तेमाल करना
बचाव ही सबसे अच्छा इलाज है
– पार्थेनियम को पहचानें और इसे अपने घर/बगीचे से हटाएं – बगीचे में काम करते समय मास्क और दस्ताने पहनें – घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करेंखुद को इस घास से बचाने के लिए कुछ चीजें कर सकते हैं:
पौधे को सीधे मत छुओ: इसे नंगे हाथों से निकालने की कोशिश भी मत करना।सुरक्षा का सामान पहनो: अगर इसे हटाना पड़े तो हमेशा दस्ताने, मास्क और पूरी बाजू के कपड़े पहनो।
खिड़कियाँ बंद रखो: खासकर सुबह और शाम के समय जब हवा में पराग ज्यादा होता है।
घर में हवा साफ करने वाली मशीन (एयर प्यूरीफायर) लगाओ: अगर घर में किसी को अस्थमा या एलर्जी है तो यह बहुत काम आएगा।
नाक साफ करने के लिए नमक के पानी का स्प्रे इस्तेमाल करो: इससे पराग निकल जाएगा।
अगर एलर्जी है तो डॉक्टर से सलाह लो: वो एंटीहिस्टामाइन या इन्हेलर जैसी दवाएं दे सकते हैं जिससे आराम मिलेगा।
अपने इलाके में सफाई अभियान चलाने के लिए दबाव डालो: इस पौधे को बढ़ने से रोकना ही सबसे अच्छा तरीका है। इसके लिए आपके शहर के अधिकारी मदद कर सकते हैं।