क्या कहती है स्टडी?
कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो की प्रोफेसर मिरियम डायमंड की टीम ने 6 महीने से 4 साल तक के बच्चों के कमरों में हवा की जांच की।उन्होंने पाया कि वहां की हवा में कई खतरनाक केमिकल्स मौजूद थे – जैसे फ्लेम रिटार्डेंट्स (आग से बचाने वाले रसायन), फ्थेलेट्स (phthalates), और UV फिल्टर्स।
सबसे ज्यादा केमिकल्स बच्चों के बिस्तर के पास मिले।
रिसर्च में ये भी पता चला कि जब बच्चा गद्दे पर लेटा होता है, तो उसके शरीर की गर्मी और वजन से ये केमिकल्स और ज्यादा तेजी से हवा में घुल जाते हैं।ये केमिकल्स आखिर होते क्या हैं?
फ्थेलेट्स (Phthalates):
ये प्लास्टिक को मुलायम और टिकाऊ बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।फ्लेम रिटार्डेंट्स (Flame Retardants):
आग से बचाव के लिए डाले जाते हैं लेकिन कई रिसर्च में साबित हुआ है कि ये बच्चों के IQ में गिरावट, विकास में रुकावट, और हार्मोनल असंतुलन से जुड़े हो सकते हैं।महंगे या सस्ते ब्रांड्स से कोई फर्क नहीं पड़ता
इस स्टडी में ये भी पाया गया कि चाहे गद्दा महंगा हो या सस्ता, इनमें केमिकल्स की मात्रा लगभग एक जैसी होती है।इसका मतलब है कि माता-पिता चाहकर भी सिर्फ ब्रांड देखकर सुरक्षित विकल्प नहीं चुन सकते।
तो फिर उपाय क्या है?
कॉटन (कपास) वाले गद्दे हैं बेहतर विकल्पक्यों?
अगर हो सके, तो सिंथेटिक गद्दों की जगह कॉटन वाले गद्दों का इस्तेमाल करें — ताकि नींद सुकून भरी हो, न कि सेहत के लिए खतरा।