इंदौर में मिली बस्तर की चापड़ा चींटी
छत्तीसगढ़ के बस्तर में पाई जाने वाली चापड़ा चींटी भी इंदौर में पाई जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम विवर एंट है। यह आम के पेड़ों पर रहती है और अपने लार्वा से पत्तियों को जोड़कर घोंसला बनाती है। यह लाल रंग की बड़ी चींटी है, जिसमें सामान्य चीटियों की तुलना में ज्यादा एसिड होता है। काटने से मधुमक्खी के डंक जैसा सूजन और दर्द होता है। फैक्ट फाइल
- दुनिया में अब तक 10 लाख कीटों का नामकरण हो चुका है।
- विश्व में 15,000 चींटी प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं।
- भारत में 900 प्रजातियां पाई जाती हैं।
- मध्यप्रदेश में 40 प्रजातियां दर्ज हुई हैं।
- इंदौर में 30 प्रजातियां पाई जाती हैं।
इस तरह पारिस्थितिक तंत्र में सहायक
- पौधों पर आने वाले कीटों को नष्ट करती हैं।
- मृत पशु-पक्षियों को खाकर जैविक संतुलन बनाती हैं।
- मिट्टी की गुणवत्ता सुधारती हैं, जिससे पौधों की वृद्धि होती है।
- फलों पर कीटों को नियंत्रित करती हैं।
कैसी होती है ये चींटी
आकार ही चुनौती यह चींटी हल्के पीले रंग की होती है। इसकी लंबाई 0.5 मिमी है। सिर मात्र 0.2 मिमी का है। आकार में बहुत छोटी होने के कारण इसका अध्ययन चुनौतीपूर्ण रहा। इस पर आगे भी शोध जारी रहेगा।
120 विशेषज्ञों की मेहनत का नतीजा
कीट विशेषज्ञ डॉ. आनंद हरसाना ने बताया कि प्रदेश में इससे 120 साल पहले स्विस एंटोमालॉजिस्ट ने मध्य भारत में शोध किया। तब से अब तक क्षेत्र में विशेष रिसर्च नहीं हुआ। प्रदेश के जंगल, पर्वत श्रृंखला चींटी प्रजातियों के लिए अनुकूल हैं। यह कार्य गाइड डॉ. देबजानी डे की सहायता से किया गया। इसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आइसीएआर) नई दिल्ली के कीट विभाग को भेजा है।
अब प्रदेश में चींटियों की 70 प्रजाति हो जाएंगी
सतपुड़ा में मिली दो चींटियों का नामकरण लेपिसियोटा विलसोली एंट और लेपिसियोटा सतपुड़ा एंट किया है। लेपिसियोटा सतपुड़ा एंट को भारत में पाई जाने वाली सबसे बड़ी रंगीन चींटी माना जा रहा है। अब तक मप्र में 40 चींटी प्रजातियां थी। अब ये 70 हो जाएंगी।