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फैमिली कोर्ट ने कहा था कि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक नहीं दिया जा सकता। सुनवाई के दौरान फैमिली कोर्ट के दोनों पक्षकार पति-पत्नी के वकीलों ने दलील दी कि हिंदू मैरिज एक्ट की धारा-2 में साफ लिखा है कि ये अधिनियम हिंदुओं के अतिरिक्त सिख, बौद्ध और जैन पर भी लागू होगा। अधिवक्ता पंकज खंडेलवाल के मुताबिक कोर्ट में कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 25 में भी यह स्पष्ट किया गया है कि जैन, सिख व बौद्ध को हिंदू माना जाएगा।
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जैनियों में भी हिंदुओं के समान विवाह संस्कार
पत्नी की ओर से वकील वर्षा गुप्ता ने कहा कि विवाह के लिए जैन धर्म में भी हिंदुओं के समान ही वाकदान, सप्तपदी आदि सभी नियमों का उल्लेख है। वकील सुनील जैन और रोहित कुमार मंगल ने कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि जैन समाज को वर्ष 2014 में अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया उसकी अधिसूचना में केवल आरक्षण संबंधी प्रावधान है।