महिलाओं ने पत्रिका लाइव शो में कहा- पुन: संस्कारों का रोपण करने की जरूरत, जागना होगा घटना से पहले
women safety : महिला सुरक्षा के दावे अब भी आधे अधूरे हैं। पूर्ण सुरक्षा तो नहीं है, लेकिन जन जागरुकता और अभियानों के चलते लोगों में अब महिलाओं के प्रति सोच जरूर बदली है।
महिला सुरक्षा अभियान: घर से करनी होगी शुरुआत, तब बनेगी महिला सुरक्षा की बात women safety : महिला सुरक्षा के दावे अब भी आधे अधूरे हैं। पूर्ण सुरक्षा तो नहीं है, लेकिन जन जागरुकता और अभियानों के चलते लोगों में अब महिलाओं के प्रति सोच जरूर बदली है। हालांकि अब भी हमें ये सोचना पड़ता है कि हम कितने समय निकलें बाहर जब कोई असुरक्षा न हो। महिलाओं की सुरक्षा के लिए जरूरी है हर एक के मन में सम्मान होना चाहिए। ये बात शुक्रवार को तिलवारा रोड स्थित एक कॉलेज में पत्रिका के लाइव टॉक शो में डॉ. कीर्ति विश्वकर्मा ने कही।
डॉ. रुचि पांडे ने सरकारों के इस ओर उठाए गए कदमों से अधिकार और सुरक्षा तो मिल रही है। किंतु हमें स्वयं से कुछ प्रयास करने होंगे। इसके लिए आवश्यक है कि महिला और पुरुष दोनों मिलकर इस पर काम करेंगे तो परिणाम जल्द और सकारात्मक मिलेंगे। डॉ. रुचि लोधी ने कहा महिला की सुरक्षा हमेशा से ही चैलेंजिंग टास्क रहा है। वुमन सेफ्टी को लेकर महिला को खुद ही जागरुक होना होगा। असिस्टेंट प्रो. ज्योति सोनी यदि कोई बच्ची या महिला के साथ कोई घटना होती है तो हमें मिलकर आवाज उठानी चाहिए। सरकारों ने इस क्षेत्र में पहल की है, लेकिन उन पर अमल सख्ती से करने की जरूरत है।
women safety : महिलाओं को हमेशा मिला सम्मान
प्रो. नीलिमा राजपूत ने कहा महिलाओं का सम्मान दिल से होना चाहिए। आज दिखावा ज्यादा हो रहा है। अनादि काल से महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती रही है, किंतु वर्तमान में सभ्यताओं के टकराव के बाद अब विकृति ज्यादा आ गई है। जिससे महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं। असि. प्रो. निधि मिश्रा ने पत्रिका का अभियान महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है। अब आवश्यकता है कि कोई बड़ी घटना होने से पहले ही हमें सख्ती के साथ काम करने की जरूरत है। हम अक्सर घटनाओं के बाद ही संवेदनशील होते हैं।
women safety : विकृत मानसिकता को बदलने की जरूरत
प्रो.आरपी चौबे ने कहा हमारे यहां अबोध बालिकाओं के साथ होने वाली घटनाओं के पीछे विकृत मानसिकता है। इसे बदलने की जरूरत है। इसके लिए हमें मिलकर प्रयास करने होंगे, इसकी मूल जड़ों पर जाना होगा। कानून अपराधी को सजा दे सकता है, किंतु मानसिकता को बदलने के लिए हमें संस्कारों से जोडऩा होगा। प्रो. वेदांत श्रीवास्तव ने कहा बेटियों के प्रति सम्मान की हम केवल बातें न करें बल्कि उसे धरातल पर लाने का प्रयास करें। डॉ. विम्मी पांडे, रितु शर्मा, पारुल शर्मा, पूनम सरावगी, प्रज्ञा दुबे, आकांक्षा उपाध्याय, प्रो. शारदा सोनी, शिवानी जैन, प्रो रिचा वैरागी, प्रो साबिया खान, सर्वदा सोनी, रोशनी विश्वकर्मा, डॉ. पुष्पांजली पांडे आदि महिलाओं ने अपनी बात रखी।
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