यह प्रमाणपत्र भारत सरकार के उपक्रम एमएनआरई, ग्रीन रेटिंग फार इंटिग्रेटेड हेबीटाट रेसिस्टेंट व टेरी संस्थान ने संपूर्ण मानक पर खरा उतरने पर संयुक्त रुप से दिया है। बताया यह जा रहा है कि इस फाइव स्टार रेटिंग को पाने वाला संभवत: यह राज्य का पहला मकान है।
बस्तर संभाग और शायद
छत्तीसगढ़ में स्वगृह ग्रीन बिल्डिंग रेटिँग लेने वाला पहला घर। घर निर्माण में लाल ईंट की जगह एएसी ब्रिक्स का इस्तेमाल किया गया है। जिससे की नमी घर में कम होती है एवं घर का तापमान बना रहता है।
मकान निर्माण में इस बात का ध्यान रखा गया कि धरती के अंदर के कांस्टेंट तापमान के उपयोग से घर को गर्मी में ठंडा एवं ठंडी में गर्म रहता है।
टर्बो फेन की सहायता से कमरों की गर्म हवा ऊपर की ओर होते हुए घर से बाहर निकल जाती है जिस से की घर के अंदर का तापमान अनुकुल रहता है।
रेन
वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक से से बारिश का पानी फ़िल्टर कर स्टोर किया जाता है तथा एक्स्ट्रा पानी से ग्राउंड वाटर रिचार्ज किया जा रहा है। रूफटॉप सोलर से घर की बिजली की आपूर्ति की जाती है एवं एक्स्ट्रा बिजली सरकार को बेची जा रही है।
स्काई लाइट व होम ऑटोमेशन से दिन में घर पर लाइट्स का उपयोग नहीं होता जिस से बिजली की बचत हो रही है। किचन वेस्ट को कंपोस्टर में डाल कर खाद बनाते है जो कि घर के गार्डन में इस्तेमाल किया जा रहा है। कचरा उत्पादन को भी कम से कम किया।