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जगदलपुर

Holi 2025: होली के स्वागत में जंगल में खिले टेसुओं के रंग बिरंगे-फूल, देखें फोटोज…

Holi 2025: फागुन के महीने में जंगल में पाए जाने वाले टेसू के पेड़ों की डालियां खुबसूरत केसरिया रंग के सुंदर फूलों से लद गई है। इन फूलों को देखकर मन मंत्रमुग्ध हो जाएगा।

जगदलपुरMar 12, 2025 / 05:14 pm

Laxmi Vishwakarma

Holi 2025
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Holi 2025: वर्षों पूर्व जंगल में खिले केसरिया, लाल और पीले फूलों से बने रंगों की होली खेली जाती थी। इसी तरह फूल, फल और पत्तियों से बने रंग और अबीर लोगों की पहली पसंद हुआ करती थे। जंगल में खिले टेसू के फूल ऐसे लगते हैँ जैसे वह रंगों का त्योहार होली के स्वागत में तैयार खड़ा हो।
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Holi 2025: डिजीटल युग में अब लोगों का इन रंगों के प्रति आकर्षण समाप्त हो गया है। लोग अब रासायनिक और केमिकल से बने रंगों से त्योहार मनाना शुरू कर दिए हैं।
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Holi 2025: पलाश का पौराणिक महत्व: ब्रह्मवृक्ष का दर्जा प्राप्त टेसू को पलास, परसा, ढाक तथा केसू के नाम से जाना जाता है। तोते की चोंच के समान फूलों का आकार होने के कारण किंशुक नाम भी दिया गया है। टेसू के फूलों से होली खेलने का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।
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Holi 2025: पौराणिक कथा के अनुसार कामदेव ने टेसू के वृक्ष पर बैठकर भगवान शिव की तपस्या की थी। शिव ने क्रोध में तीसरी आंख खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया। वृक्ष जलने लगा तो कामदेव ने शिव से प्रार्थना कर अपने को बचाया। इसी वजह से शिव के दहकते हुए इसके फूल तीसरे नेत्र की भाँति हो गए।
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Holi 2025: प्राकृतिक रूप से जगलों में खिले खूबसूरत फूलों और पत्तियों के रंगों से होली खेलने की बात अब बीते जमाने की बात हो गई है। इन फूलों से रंग बनाने में लगने वाले श्रम व समय के चलते लोग अब इन्हें पसंद नहीं करते। आजकल के भागदौड़ भरी जिंदगी में इनका स्थान अब घातक और रासायनिक रंगों ने ले लिया है।

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