एआइ और डेटा एनालिटिक्स की मदद
विभाग ने एआइ और डेटा एनालिटिक्स की मदद से उन करदाताओं को चिन्हित किया, जो जाली दस्तावेज जमा करके टैक्स में छट हासिल कर रहे थे। केवल कागजों में संस्थाएं
डिपार्टमेंट ने पाया कि कुछ संगठित रैकेट्स करदाताओं को गलत तरीके से टैक्स बचाने की ट्रेनिंग दे रहे थे। इन रैकेट्स ने न सिर्फ फर्जी दस्तावेज बनाए, बल्कि कई बार गैर-रजिस्टर्ड या संदिग्ध संस्थाओं के जरिए फर्जी डोनेशन का पेपरवर्क भी तैयार किया। डिपार्टमेंट का कहना है कि अगर कोई प्रोफेशनल टैक्स चोरी में मदद करता पाया गया, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी।
पहले दी चेतावनी, अब एक्शन शुरू
इस बड़े क्रैकडाउन से पहले आयकर विभाग ने एक कैंपेन शुरू किया था। इसका मकसद करदाताओं को – उनके संदिग्ध और बिना दस्तावेजों के क्लेम के बारे में आगाह करना था। करदाताओं को सलाह दी थी कि वे अपने रिटर्न को दोबारा जांच लें और अगर कोई गलती हुई है, तो रिवाइज्ड या अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर दें। ऐसा न करने पर करदाताओं को नोटिस, पेनल्टी, ब्याज या फिर इनकम टैक्स एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
इन धाराओं में छूट का ले रहे थे अवैध लाभ
हाउस रेंट अलाउंस: सेक्शन 10(13ए) पॉलिटिकल पार्टियों को डोनेशन (सेक्शन 80जीजीसी) एजुकेशन लोन का ब्याज (सेक्शन 80ई) हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम (सेक्शन 80डी) होम लोन और इलेक्ट्रिक व्हीकल लोन का ब्याज (सेक्शन 80ईई और 80ईईबी) चैरिटेबल डोनेशन (सेक्शन 80जी) साइंटिफिक रिसर्च (सेक्शन 80जीजीए) गंभीर बीमारियों के इलाज का खर्च (सेक्शन 80डीडीबी)
अब इस दंड के लिए रहें तैयार
कम आय दिखाना (सेक्शन 270ए): अतिरिक्त आय पर देय टैक्स का 50त्न जुर्माना। आय छिपाना (सेक्शन 271(1)(सी): बचाए गए टैक्स का 300त्न तक जुर्माना। अस्पष्ट निवेश (सेक्शन 271एएसी): 60त्न टैक्स, सरचार्ज और सेस के साथ 10त्न अतिरिक्त जुर्माना। जानबूझकर टैक्स चोरी (सेक्शन 276सी): तीन महीने से लेकर सात साल तक की सजा, अगर चोरी की गई टैक्स राशि 25 लाख रुपए से अधिक हो।