
डिवाइस पर मिल जाता है पूरा कंट्रोल
एक बार जब व्यक्ति उनकी बातों में आकर ऐसा कर देता है तो अपराधियों को पीड़ित के फोन का पूरा एक्सेस मिल जाता है। इसके बाद वे बैंक ऐप, फोटो, फाइल्स और व्यक्तिगत डाटा तक पहुंच बना लेते हैं। कई मामलों में ठग सीधे खाते से पैसे उड़ा लेते हैं या फिर ब्लैकमेल कर भुगतान करवा लेते हैं।बात नहीं मानने पर धमकाते ठग
फर्जी हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करते ही ठग पीड़ित को झांसे में लेने लगते हैं। बताए अनुसार काम नहीं करने पर बदमाश पीड़ित से अभद्रता तक करने से नहीं चूकते। यहीं नहीं पीड़ित जब साइबर ठगों के खिलाफ कार्रवाई की बात कहता है तो ठग जो मर्जी आए कर लो जैसी बातें कहकर धमकाते हैं।बैंक, होटल, कंपनियों के नाम से ।फर्जी नंबर अपलोड
● गूगल पर मिले नंबर पर भरोसा न करें● बैंक, होटल या किसी भी सेवा का हेल्पलाइन नंबर केवल उनकी आधिकारिक वेबसाइट या ऐप से ही लें।
● थर्ड पार्टी वेबसाइट्स पर न जाएं
● कुछ वेबसाइट्स खुद को हेल्पलाइन बताकर फर्जी नंबर दिखा देती हैं।
● किसी लिंक पर क्लिक न करें। अगर कोई अजनबी ऐप डाउनलोड करने या लिंक खोलने को कहे, तो सतर्क रहें।
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