हालांकि, इस बंपर भर्ती अभियान के बावजूद दक्षिण राजस्थान के अनुसूचित जनजाति उपयोजना क्षेत्र (TSP) में विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। टीएसपी क्षेत्र के युवा और बेरोजगार संगठन भर्ती में पदों के वर्गीकरण को लेकर नाराज हैं और 21 जुलाई को ‘बेरोजगार रैली’ की तैयारी कर रहे हैं। इसके साथ ही, RPSC के नए अध्यक्ष उत्कल रंजन साहू की नियुक्ति को लेकर भी विवाद बढ़ रहा है।
TSP क्षेत्र में भर्ती विवाद- क्या हैं शिकायतें?
बता दें, राजस्थान के टीएसपी क्षेत्र में डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, सिरोही, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, राजसमंद और पाली जिले शामिल हैं। भर्ती विज्ञप्ति के बाद इन जिलों के युवाओं में अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित पदों के आवंटन पर असंतोष है। राजस्थान बेरोजगार यूनियन (TSP) के अध्यक्ष गुरमीत चरपोटा ने राजस्थान पत्रिका से बातचीत में बताया कि पहले टीएसपी क्षेत्र के लिए 9.41 फीसदी पद आरक्षित होते थे, जिसे बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया गया। लेकिन नई भर्ती में इस कोटे का ध्यान नहीं रखा गया। उदाहरण के लिए, वरिष्ठ अध्यापक भर्ती में सामाजिक विज्ञान के लिए नॉन-टीएसपी में 401 पद हैं, जबकि टीएसपी में एक भी पद नहीं।
वहीं, हिंदी विषय में 1,052 में से केवल 47 पद टीएसपी के लिए हैं, जबकि 157 पद होने चाहिए थे। तृतीय श्रेणी संस्कृत विभाग में टीएसपी के लिए कोई पद नहीं और प्राथमिक अध्यापक भर्ती में 5,000 में से केवल 500 पद टीएसपी को मिले। उप निरीक्षक (SI) भर्ती में भी टीएसपी के लिए मात्र 25 पद आवंटित किए गए।
गुरमीत चरपोटा ने कहा कि हर बार टीएसपी क्षेत्र के युवाओं के साथ अन्याय होता है। भर्ती में पदों का उचित वर्गीकरण नहीं किया गया, जिससे आदिवासी युवाओं का भविष्य अधर में है। यूनियन ने 21 जुलाई को बेरोजगार रैली की घोषणा की है, जिसमें हजारों युवा हिस्सा लेंगे।
RPSC के नए अध्यक्ष की नियुक्ति पर विवाद
इधर, पहले राजस्थान के पुलिस महानिदेशक (DGP) रहे RPSC के नए अध्यक्ष उत्कल रंजन साहू की नियुक्ति 10 जून 2025 को हुई। लेकिन उनकी नियुक्ति को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। कुछ संगठनों और युवाओं का मानना है कि RPSC की विश्वसनीयता पहले से ही पेपर लीक और अनियमितताओं के कारण सवालों के घेरे में है और नए अध्यक्ष की नियुक्ति से पारदर्शिता बढ़ाने की उम्मीद कम है। क्योंकि RPSC में पिछले कुछ वर्षों में कई विवाद सामने आए हैं। जैसे 2021 की SI भर्ती में पेपर लीक और 2022 की शिक्षक भर्ती में अनियमितताएं। इन मामलों में दो पूर्व RPSC सदस्यों बाबूलाल कटारा और रामू राम रायका की गिरफ्तारी ने आयोग की साख को और ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। दूसरी ओर सरकार का कहना है कि साहू के अनुभव और सख्त प्रशासनिक रवैये से भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी।
हाल ही में निकली भर्तियों का विवरण
गौरतलब है कि भजनलाल सरकार ने शिक्षा, गृह, कृषि, पशुपालन, ऊर्जा, और जन स्वास्थ्य जैसे विभागों में भर्तियां निकाली हैं। शिक्षा विभाग में प्राध्यापक (3,225 पद), वरिष्ठ अध्यापक (6,500 पद), और संस्कृत व प्रारंभिक शिक्षा में 7,759 पद शामिल हैं। गृह विभाग में उप निरीक्षक (1,015 पद) और प्लाटून कमांडर (84 पद) की भर्ती होगी। कृषि विभाग में सहायक अभियंता (281 पद) और कृषि पर्यवेक्षक (1,100 पद), पशुपालन में पशु चिकित्सा अधिकारी (1,100 पद), वन विभाग में वनपाल, वनरक्षक, और सर्वेयर (785 पद), ऊर्जा विभाग में 2,163 पद, और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी में 1,050 पदों पर भर्तियां होंगी। आयुर्वेद विभाग में आयुष अधिकारी (संविदा) के 1,535 पद भी शामिल हैं।
भर्तियों को लेकर एक बयान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि हमारा लक्ष्य युवाओं को अधिकतम सरकारी रोजगार के अवसर देना है। ये भर्तियां राजस्थान के विकास को गति देंगी।
टीएसपी क्षेत्र की क्या है प्रमुख मांगे?
1. 19 मई 2018 की अधिसूचना के अनुसार टीएसपी क्षेत्र के विस्तार के आधार पर पदों का वर्गीकरण।
2. न्यूनतम उत्तीर्ण अंकों में छूट (SC/ST के लिए 35%, सामान्य के लिए 40%)।
3. टीएसपी अभ्यर्थियों के लिए गृह जिले में परीक्षा केंद्र।
4. पिछली भर्तियों (PTI, कंप्यूटर अनुदेशक, वरिष्ठ अध्यापक) में रिक्त सीटों को भरना।
5. शिक्षक भर्ती 2022 L1 का लंबित परिणाम जारी करना।
6. एक ही चरण में परीक्षा आयोजन ताकि नॉर्मलाइजेशन का नुकसान न हो।
7. समान पात्रता परीक्षा (CET) में ST वर्ग के लिए 55% के बजाय 36% पात्रता अंक।
8. पिछली भर्तियों के रिक्त पदों को बैकलॉग के रूप में जोड़ना।
9. पिछले 6 महीनों से बकाया बेरोजगारी भत्ता समय पर देना।
10, चतुर्थ श्रेणी भर्ती में आरक्षित वर्गों के लिए उचित वर्गीकरण।
11. टीएसपी में कार्यरत नॉन-टीएसपी कर्मचारियों का उनके क्षेत्र में स्थानांतरण।
12. तृतीय श्रेणी में पदों की संख्या बढ़ाना।
बताते चलें कि टीएसपी क्षेत्र के युवाओं का मानना है कि भर्ती प्रक्रिया में उनकी उपेक्षा की जा रही है, जिससे बेरोजगारी और असंतोष बढ़ रहा है। दूसरी ओर, सरकार इन भर्तियों को युवाओं के लिए सुनहरा अवसर बता रही है।