पत्रिका डॉट कॉम से खास बातचीत में दिगेंद्र सिंह ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हो तो वो आज भी बॉर्डर पर दुश्मनों का सामना करने को तैयार है। पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि करगिल युद्ध में तो 48 पाक जवानों को मारा था। लेकिन, इस बार आंकड़ा 4800 पार पहुंचा दूंगा।
55 साल के रिटायर्ड फौजी दिगेंद्र सिंह ने बताया कि युद्ध लड़ने के लिए जवान होना जरूरी नहीं है। अगर हौंसले बुलंद हो और युद्ध कौशल की समझ हो तो हर युद्ध जीता जा सकता है। युद्ध की स्थिति के बीच भारत सरकार आदेश दे तो वे बॉर्डर पर दुश्मनों का सामना करने के लिए तैयार रहेंगे। पहलगाम आतंकी हमले को राजनीतिक मुद्दा बताते हुए उन्होंने कहा कि इस पर केंद्र सरकार को ही बड़ा फैसला लेना है।
कंपनी कमांडर को धमकाने वाले को उतारा था मौत के घाट
दिगेंद्र सिंह सेना की सबसे बेहतरीन बटालियन 2 राजपूताना रायफल्स में थे। साल 1993 में जब वे जम्मू-कश्मीर कुपवाड़ा में तैनात थे। तब पहली बार उन्होंने बहादुरी का परिचय दिया था। कंपनी कमांडर वीरेन्द्र तेवतिया को उग्रवादी मजीद खान ने धमकाया था। जब इस बात का दिगेंद्र सिंह को पता चला तो वो गुस्से से लाल हो गए थे। इसके बाद पहाड़ी पर चढ़कर मजीद खान को मार दिया। इतना ही नहीं, शव को कंधे पर लाए और कर्नल के सामने पटक दिया। इस बहादुरी के लिए दिगेंद्र को सेना मेडल से नवाजा गया था। वे सेना की हर गतिविधि में अव्वल रहते थे। इसके लिए उनको भारतीय सेना के सर्वश्रेष्ठ कमांडो के रूप में ख्याति मिली थी।
48 पाक सैनिकों को अकेले की मारा
साल 1999 के कारगिल युद्ध में दिगेंद्र सिंह ने पाकिस्तानी सेना का डटकर का सामना किया था। शरीर में पांच गोली लगने के बाद भी दिगेंद्र सिंह ने 48 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। इतना ही नहीं, दिगेंद्र सिंह ने चाकू से पाकिस्तानी मेजर अनवर खान का सिर काटकर जम्मू कश्मीर में तोलोलिंग पहाड़ी की बर्फीली चोटी को मुक्त कराया था। उन्होंने 13 जून 1999 को सुबह चार बजे तिरंगा लहराते हुए भारत को कारगिल युद्ध में पहली सफलता दिलाई थी। युद्ध के बाद दिगेन्द्र सिंह को राष्ट्रपति डॉक्टर केआर नारायणन ने महावीर चक्र से नवाजा था।
सीकर जिले के झालरा गांव में हुआ जन्म
दिगेंद्र सिंह का जन्म सीकर जिले के झालरा गांव में 3 जुलाई 1969 को हुआ था। वे वर्तमान में जयपुर के वैशाली नगर में रहते हैं। जहां पर चित्रकुट में उनकी कारगिल कुटिया हैं, वे यही पर निवास करते हैं। दिगेन्द्र सिंह 3 सिंतबर 1985 में सेना की सबसे बेहतरीन बटालियन 2 राजपूताना रायफल्स में भर्ती हुए थे और 47 साल की उम्र में 31 जुलाई, 2005 को रिटायर हुए थे।