मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाकर फंसाया
पुलिस अधीक्षक (साइबर) शांतनु कुमार ने बताया कि मूलत: झुंझुनूं के अलसीसर निवासी और वर्तमान में दिल्ली के रोहिणी में रहने वाले सुरेश कुमार जाट उर्फ सुरेन्द्र को गिरतार किया गया है। पीड़ित बुजुर्ग ने 27 मई 2025 को जयपुर साइबर क्राइम थाना में शिकायत दी थी कि 23 मई को दो अलग-अलग मोबाइल नंबरों से कॉल आए। कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई के कोलाबा थाने से संजय कुमार बताया और कहा कि पीड़ित के नाम से खरीदे गए मोबाइल नंबर का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग और आपत्तिजनक संदेश भेजने में किया गया है। उनके खाते में 2.80 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग हुई है और उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हो चुका है। इसके बाद कॉल करने वाले ने उन्हें सीबीआइ के एक कथित अधिकारी रोहित कुमार गुप्ता से बात करवाई।ऐसे बुना जाल…
फर्जी सीबीआइ अधिकारी बने रोहित कुमार ने संजय कुमार की बातें दोहराईं और पीड़ित को वीडियो कॉल के माध्यम से अदालत का दृश्य दिखाया, जिसमें एक न्यायाधीश डेस्क पर बैठकर आदेश देते दिखाई दिए। न्यायाधीश ने आदेश दिया कि यदि पीड़ित, जिनका नाम संतोष कुमार भार्गव बताया गया, राशि जमा नहीं कराते हैं तो उन्हें तुरंत गिरतार किया जाए और उनके सभी बैंक खाते फ्रीज कर दिए जाएं। इस सुनियोजित जाल में फंसकर पीड़ित ने 26 मई 2025 को कृष्णा सर्जिकल नामक बैंक खाते में 23.56 लाख रुपए आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर कर दिए।आरोपी तक ऐसे पहुंची पुलिस
शांतनु कुमार ने बताया कि शिकायत दर्ज होने पर उपाधीक्षक नीरज कुमार मेवानी के नेतृत्व में जांच शुरू की गई। टीम ने बैंक खाते का गहन विश्लेषण किया, जिसमें सामने आया कि 26 मई को इस खाते में पीड़ित सहित विभिन्न व्यक्तियों से करीब 3 करोड़ रुपए जमा हुए थे और उसी दिन नेट बैंकिंग के जरिए अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिए गए थे।खाताधारक की पहचान कर सहायक उप निरीक्षक अजय कुमार और हेड कांस्टेबल दौलतराम की टीम को दिल्ली भेजा गया, जहां से आरोपी को गिरफ्तार किया गया। ठगी की रकम में से 5 लाख रुपए फ्रीज कराए गए हैं। आरोपी के खिलाफ चंडीगढ़ और सोनीपत में भी साइबर ठगी के मामले दर्ज हैं। आरोपी के चार-पांच अन्य साथियों की तलाश जारी है।