हद कर दी सरकार: कहने को जयपुर की सड़कें, तस्वीरों में देखें ग्रामीण से भी बदतर हालात
स्थानीय लोग सरकार से सवाल कर रहे हैं कि जब ‘राइज़िंग राजस्थान’ जैसे बड़े आयोजन के लिए लाखों-करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, तो शहर की बुनियादी जरूरतों पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया? अगर राजधानी का हाल ऐसा है, तो दूरदराज के इलाकों की स्थिति क्या होगी?
कहने को राजधानी जयपुर है, लेकिन उखड़ी सड़कों को देखकर ऐसा लगता है मानों किसी ग्रामीण इलाके में आ गए है। जयपुर में परकोटे में ही नहीं, बल्कि बाहरी इलाकों में भी सड़कों का खस्ताहाल किसी से छिपी नहीं है।
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शहर के पॉर्श एरिया में शुमार मालवीय नगर के अपेक्स सर्किल से रोजाना लोगों को गड्ढों भरी सड़क से गुजरना पड़ता है। सड़क पर बने गड्ढे हादसों को निमंत्रण दे रहे हैं।
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रोज़ाना बड़ी संख्या में वाहन इन सड़कों से गुजरते हैं और इनकी जर्जर हालत वाहन चालकों के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर रही हैं। वाहन जल्दी खराब हो रहे हैं, एक्सल टूटने और टायर फटने जैसी घटनाएं भी हो गई हैं।
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स्कूली बच्चों से भरी बसें-ऑटो और ऑफिस जाने वाले लोगों का खस्ताहाल सड़कों से गुजरना मजबूरी बन गया है। रात में तो हर पल दुर्घटना का खतरा मंडराता रहता है।
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मानसरोवर जाने वाली सरस पुलिया पर गड्ढों के बीच सड़क नजर तक नहीं आती है। उखड़ी सड़कों की पीड़ा वाहनचालकों को झेलनी पड़ती है। यह हालात तो शहर के पॉश इलाकों के हैं, वहीं परकोटे की गलियों सहित कच्ची बस्तियों में तो हालत और भी खराब है।
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गुलाबी शहर में इन दिनों पर्यटन सीजन चल रहा है। दिवाली से लेकर क्रिसमस तक शहर में देसी ही नहीं विदेशी पावणों की आवाजाही बढ़ जाती है। शहर की खूबसूरती को निहारने आने वाले पावणों को गड्ढों भरी राह से गुजरना पड़ रहा है।
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आगामी दिनों में शहर में सबसे बड़े आयोजनों में से एक ‘राइज़िंग राजस्थान’ का आयोजन होना है, जिसमें देश-विदेश के निवेशक शामिल होने वाले हैं। अभी भी प्रशासन ने सड़कों की सुध नहीं ली तो शहर की छवि धूमिल होते देर नहीं लगेगी।