न्यायाधीश समीर जैन ने बजरी चोरी के मामले में जब्बार की जमानत याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। कोर्ट ने पूर्व लीजधारक की ओर से पक्षकार बनने के लिए दायर प्रार्थना पत्र को भी खारिज कर दिया। सुनवाई के दौरान अवैध बजरी खनन व खनन माफियाओं के कारण पुलिसकर्मियों की मौत के मामलों को गंभीरता से नहीं लिए जाने पर भी टिप्पणी की गई। कोर्ट ने राज्य सरकार को कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने के लिए 2 अप्रेल तक का समय दिया।
यह था मामला
हाईकोर्ट ने पिछले साल अप्रेल में बजरी की चोरी और अवैध परिवहन से जुड़ा मामला सामने आने पर सीबीआइ से जांच करने को कहा। साथ ही, सीबीआइ को छूट दी कि वह बनास और चंबल नदी में अवैध खनन व परिवहन से जुडे मामलों पर भी जांच कर सकती है।
अधिकारी-कर्मचारियों की कमी- सीबीआइ
पिछली सुनवाई पर सीबीआइ ने संसाधनों की कमी का हवाला देते हुए बनास व चंबल के आसपास बजरी खनन से जुड़े करीब 416 मामलों में अनुसंधान करने में असमर्थता जताई थी, जिस पर कोर्ट ने अवैध बजरी खनन और माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के मामले में जवाब देने के लिए सीबीआइ निदेशक को तलब किया था। इसकी पालना में सोमवार को सीबीआइ के अतिरिक्त निदेशक हाजिर हुए। सीबीआइ की ओर से अधिवक्ता प्रदीप चौधरी ने कहा कि अनुसंधान के लिए प्रतिनियुक्ति पर अधिकारी-कर्मचारी नहीं मिल रहे, इससे परेशानी हो रही है।