मुनेश गुर्जर को भ्रष्टाचार और रिश्वत लेकर पट्टा जारी करने के आरोपों में तीसरी बार निलंबित किया गया था। कोर्ट ने सरकार को विभागीय जांच समय पर तरीके से पूरी करने का निर्देश दिया है। शुक्रवार को दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब सुनाया गया।
तीसरे निलंबन को दी गई थी चुनौती
दरअसल, मुनेश गुर्जर ने अपने तीसरे निलंबन को चुनौती देते हुए दावा किया था कि राज्य सरकार ने एकतरफा और राजनीति से प्रेरित कार्रवाई की है। उन्होंने कहा कि निलंबन से पहले उन्हें सुनवाई का उचित मौका नहीं दिया गया। उनके वकील ने तर्क दिया कि सरकार ने दो जांच अधिकारियों को नियुक्त किया, लेकिन एक अधिकारी का कोई पत्र नहीं मिला, जबकि दूसरे के पत्र पर हस्ताक्षर नहीं थे। साथ ही, सुनवाई के लिए दी गई तारीख सार्वजनिक अवकाश के दिन थी। मुनेश गुर्जर ने यह भी कहा कि जब उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए स्थानीय स्वशासन विभाग को पत्र लिखा तो अगले ही दिन उन्हें निलंबित कर दिया गया, जो प्रक्रिया का उल्लंघन दर्शाता है।
सरकार ने कोर्ट में किया ये दावा
वहीं, राज्य सरकार ने कोर्ट में दावा किया कि गुर्जर को निलंबन से पहले नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था, लेकिन उनका जवाब संतोषजनक नहीं था। सरकार ने कहा कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के साथ-साथ प्राथमिक जांच में अनियमितताएं सामने आई हैं, जिसमें नगर निगम कर्मचारियों के बयान भी शामिल हैं। इन आधारों पर निलंबन को उचित ठहराया गया।
मुनेश का तीन बार हुआ निलंबन
गौरतलब है कि मुनेश गुर्जर का 13 महीने का कार्यकाल विवादों से भरा रहा, जिसमें उन्हें तीन बार निलंबन का सामना करना पड़ा। इससे पहले, तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 5 अगस्त 2023 और 22 सितंबर 2023 को उन्हें निलंबित किया था, लेकिन दोनों बार हाई कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए निलंबन रद्द कर दिया था। इस बार, भजनलाल शर्मा सरकार ने 23 सितंबर 2024 को भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें फिर से निलंबित किया।