दरअसल पाइलिंग मशीन और भारी उपकरणों से गहरी खुदाई के बाद अब मैन्युअली सुरंग खोदने का काम शुरू किया गया है। रेट माइनर्स और एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें छोटे उपकरणों का उपयोग करते हुए सुरंग बना रही हैं। दो-दो के समूह में जवान खुदाई कर रहे हैं। हालांकि, सुरंग के निर्माण में समय अधिक लग रहा है और चेतना तक पहुंचने में अभी भी चार फीट का काम बाकी है। बताया जा रहा है कि जमीन के नीचे गर्मी और ऑक्सीजन की लगातार कमी के कारण पंद्रह-बीस मिनट से ज्यादा ठहराना चुनौतीपूर्ण है।
सुरक्षा कारणों से केवल चुनिंदा लोगों को ही सुरंग के पास जाने की अनुमति है। मौके पर दो पाइलिंग मशीन, चार जेसीबी और उच्च क्षमता वाली क्रेन के साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के करीब तीन दर्जन जवान मौजूद हैं। चेतना की मां धोली देवी और परिवार के अन्य सदस्यों की आंखें रो-रोकर पथरा चुकी हैं, लेकिन उन्हें अपनी बेटी के सकुशल लौटने की उम्मीद है। गांव के लोग भी बेसब्री से इस रेस्क्यू ऑपरेशन के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं।
अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता रहा, तो चेतना को आज शाम तक सुरक्षित बाहर निकालने की उम्मीद है। फिलहाल, कैमरों से बच्ची पर नजर रखी जा रही है, लेकिन पिछले चार दिनों से उसका कोई मूवमेंट नहीं दिखा है। प्रशासन और राहत टीम का प्रयास जारी है।