जयपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जल जीवन मिशन (जेजेएम) घोटाले में पूर्व मंत्री महेश जोशी को मुख्य आरोपी बताया। साथ ही कहा कि जोशी के बेटे की कंपनी में निवेश हुआ, जिससे सीधा लाभ प्राप्त किया। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की एफआइआर में भी जोशी का नाम है।
आर्थिक मामलों की जयपुर स्थित विशेष कोर्ट में मंगलवार को जोशी की जमानत पर ईडी ने यह पक्ष रखा। इस पर जोशी को पक्ष रखने का एक और मौका देते हुए कोर्ट ने सुनवाई गुरुवार तक टाल दी। जोशी को ईडी ने 24 अप्रेल को गिरफ्तार किया था। विशेष कोर्ट में मंगलवार को ईडी ने महेश जोशी की जमानत का विरोध किया।
ईडी के वकील ने क्या कुछ कहा
ईडी की ओर से अधिवक्ता अजातशत्रु ने कहा कि जोशी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के पर्याप्त सबूत हैं। जोशी ने जेजेएम के लिए टेंडर जारी करने के संबंध में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को प्रभावित किया। जोशी ने सीधे तौर पर लाभ लिया और संजय बडाया के जरिए अपनी गतिविधियों को अंजाम दिया। जोशी को जमानत पर रिहा किए जाने से केस पर विपरीत असर पड़ेगा।
इससे पहले पिछले सप्ताह जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वी आर बाजवा ने कहा था कि एफआइआर में महेश जोशी का नाम तक नहीं था। जिस लेन-देन को लेकर ईडी ने मामला दर्ज किया, वह बेटे की कंपनी में लोन के रूप में आया और उसे लौटाया जा चुका है। ईडी के आरोपों का दस्तावेज के आधार पर जवाब दे दिया, लेकिन राजनीतिक द्वेष के कारण फंसाया जा रहा है।