जयपुर। जयपुर के नीरज उधवानी। एक हंसता-खिलखिलाता चेहरा। अब हमेशा के लिए खामोश हो चुका है। उसकी खामोशी के दर्द ने जयपुर के आम से लेकर खास तक के सीने को छलनी कर रख दिया। जयपुर के झालाना मोक्षधाम के अंदर से उठती चिता की लपटें, हर किसी के सीने को जला रहीं थीं। एक तरफ चिता से धुंआ उठ रहा था तो दूसरी तरफ नीरज के अपनों का दिल फट रहा था। सभी की आंखों में एक ही सवाल था कि कब सेना की गोली आतंकियों को मौत की नींद सुलाएगी और जयपुर के बेटे को इंसाफ मिलेगा।
नीरज की पत्नी आयुषी बेसुध थीं। सामने पति की पार्थिव देह रखी थी और आयुषी हाथ जोड़े खड़ी थी। जुबां से शब्द नहीं निकल पा रहे थे, लेकिन खामोशी के इस मंजर के बीच आयुषी के दिल में एक गुबार भरा था, जो फटने के लिए तैयार था। परिजन आयुषी को सहारा देने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन जिसने अपने जीवनभर के साथी को खो दिया, भला उसे अब कौन सहारा दे पाता। घर से जब पति की पार्थिव देह उठी तो मानों आयुषी का पूरा संसार और खुशियां उसके साथ चलीं गईं। आंखों से दर्द का समंदर बह रहा था और इस मार्मिक दृश्य को देखकर हर किसी की पलकें नम थीं।
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बेरंग हो गई दुनिया
कुछ दिन पहले आयुषी अपने पति नीरज के साथ पहलगाम की वादियों में थीं। जिस ‘स्वर्ग’ में वह अपनी खुशियों में रंग भर रही थी, चंद पलों बाद ही उस ‘स्वर्ग’ ने उसकी जिंदगी के सभी रंगों को छीन लिया। माथे से सिंदूर की लालिमा खो गई, हाथों से रंग-बिरंगी चूड़ियों की खनन टूट गई। आतंकियों ने आयुषी के सामने ही पति नीरज के सिर में गोली उतार दी। जमीन पर बहते खून और पति को देख आयूषी की आंखें पथरा गईं। जुंबा खामोश हो गई।
फोन पर क्या बोलीं आयुषी
जिस पति के संग आयुषी यादों की दुनियों को लेकर जयपुर लौटने का सोच रही थी। वही पति तिरंगे में लिपटकर घर लौट रहा था। नीरज के बड़े भाई किशोर उधवानी को मंगलवार रात आयुषी का कॉल आया। कंपकपाती आवाज में आयुषी ने कहा नीरज को गोली लग गई है…। बस इतना कह सकी। इसके बाद फोन कट गया और घर में कोहराम मच गया।
बिलखती मां को चाहिए इंसाफ
अपनी मां के चेहेते नीरज का आखिरी वादा भी टूट गया। उसने कश्मीर से लौटकर मां से मिलने का वादा किया था। घर में मां उसे देखकर लिपट गई। मां उसे उठाती रही, लेकिन नीरज जिस नींद में था, वहां से जगना नामुमकिन था। आतंकी हमले में अपने बेटे को खो चुकी मां, अब सरकार से बदला चाहती है।
‘मेरे बेटे के हत्यारों को मौत की सजा दो’
बिखलते हुए मां कहती है आकाश-पाताल कहीं से भी ढूंढ कर लाओ, लेकिन मेरे बेटे के हत्यारों को मौत की सजा दो। अंत में जब श्रद्धाजंलि के बाद जब नीरज के घर से उनकी अर्थी उठी तो उनके परिजनों की चीत्कारों ने सभी का कलेजा चीर दिया। बाद में सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में नीरज की पार्थिव देह को झालाना स्थित मोक्षधाम में पंचतत्व में विलीन कर दिया गया।