निलंबित अस्पतालों की आधिकारिक सूची नहीं होने से अनजान मरीज इमरजेंसी हालात में वहां पहुंच जाते थे और उन्हें मजबूरन गोल्डन आवर में पैसे जमा करवाकर इलाज करवाना पड़ रहा था। इसके कारण अब तक कई मरीजों को लाखों की चपत लग चुकी थी। राजस्थान पत्रिका की ओर से शनिवार के अंक में “बेकसूर मरीज को भी मिल रही सजा, सबसे ज्यादा भुगतभोगी पेंशनर” शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया गया था। इसमें यह बताया गया कि कब कौन सा अस्पताल योजना से बाहर किया जाता है और कब कौन सा अंदर ? इसकी सूचना ही जारी नहीं की जा रही।
इसके कारण पेंशनर को आर्थिक चपत लग रही थी। समाचार प्रकाशित होने के बाद 10 घंटे बाद ही सूची ऑनलाइन कर दी गई। वित्त सचिव नवीन जैन ने बताया कि आरजीएचएस पोर्टल पर लिस्ट ऑफ ऑल ब्लॉकड हॉस्पिटल्स और लिस्ट ऑफ ऑल ब्लॉक फार्मेसी के नाम से दो अलग-अलग लिंक दिए गए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि पीपीपी मोड पर चल रहा जयपुर का मेट्रो मास भी सरकारी योजना में अनियमितताएं कर रहा है। निलंबित अस्पतालों की सूची में इसका भी नाम शामिल है।
जयपुर के निलंबित अस्पतालों के नाम
—वैशाली हॉस्पिटल एंड सर्जिकल रिसर्च सेंटर
—चंद्र मंगल हॉस्पिटल
—मानस हॉस्पिटल
—दी उर्मिल चेस्ट एंड जनरल हॉस्पिटल
—दीपशिया मेडिकेयर
—विनायक हॉस्पिटल
—आयुविक हेल्थ केयर
—अमर जैन, वैशाली नगर जयपुर
—ओरिगेनो लाइफ
—मोनीलेक
—मित्तल हॉस्पिटल
—श्री राम पंचकर्म सेंटर
—जीना सीखो लाइफकेयर
—मेट्रो मास
—राजपूताना हॉस्पिटल
—गोपीनाथ हॉस्पिटल
—रीगन हॉस्पिटल
—खंडाका
—निर्मला हॉस्पिटल
—नियो क्लिनिक
—वैशाली डेंटल हॉस्पिटल
—राधा नर्सिंग होम एंड जनरल हॉस्पिटल