आयुर्वेद अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 1 हजार से 1500 तक मरीज पहुंच रहे हैं। नई-नई विंग भी शुरू हो रही हैं। इससे भी मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। आंकड़ों के अनुसार यहां कोरोना काल के बाद से अब तक 30 फीसदी तक मरीज बढ़े हैं। इसके बावजूद यहां ओपीडी ब्लॉक का विस्तार नहीं किया जा रहा है। ओपीडी ब्लॉक में स्पेस की कमी है। ऐसे में हर समय कतारें लगी रहती हैं। इस कारण मरीजों को ओपीडी ब्लॉक के बाहर सामने की ओर शेड के नीचे वेटिंग एरिया बनाकर बैठा दिया जाता है। उनको बारी-बारी से बुलाया जाता है। इस दौरान मरीजों को डॉक्टर से परामर्श और जांच करवाने में घंटों लग जाते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्ग, गंभीर रोगी व गर्भवती महिलाओं को होती है।
इसलिए हो रही दिक्कत अस्पताल में ओपीडी के विस्तार का काम पांच साल से चल रहा है। दो मंजिला बिल्डिंग में ओटी समेत कई अन्य चिकित्सा सुविधाएं शुरू किया जाना प्रस्तावित है लेकिन वो कब तक शुरू हो जाएगी। इसका किसी के पास जवाब नहीं है। बीते पांच साल से तारीख पर तारीख ही मिल रही है।
इन सुविधाओं का भी टोटा -अस्पताल में कैंसर, न्यूरो संबंधी बीमारियों से ग्रस्त मरीज भी आते हैं। इसके बावजूद यहां पर एमआरआइ या सीटी स्कैन जैसी जांचों की सुविधा नहीं है। ऐसी ही स्थिति सोनोग्राफी जांच सुविधा की है। वो भी सप्ताह में तीन दिन ही हो रही है, जबकि यहां स्त्री रोग विभाग की ओपीडी निरंतर चलती है और प्रसव भी होते हैं। इतना ही नहीं, बायोकैमिस्ट्री, पैथोलोजी विभाग लैब में दोपहर बाद सैंपल देने पर जांचों की रिपोर्ट के लिए अगले दिन का इंतजार करना पड़ता है।
-मरीजों की बढ़ती संख्या देखते हुए ओपीडी के विस्तार की जरूरत है। उसका काम लंबे समय से चल रहा है। कुछ काम बाकी है, उसकी टेंडर प्रक्रिया चल रही है। प्रोफेसर संजीव शर्मा, कुलपति, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान