बता दें कि हालात उस समय और तनावपूर्ण हो गए, जब एक दुकानदार विरोध स्वरूप अपनी दुकान की छत पर चढ़ गया और भीतर से दरवाजा बंद कर लिया। पुलिस को दरवाजा तोड़कर उसे बाहर निकालना पड़ा।
अवैध रूप से बनी थी दुकानें
एनएचएआई के अधिकारियों के मुताबिक, ये सभी दुकानें राष्ट्रीय राजमार्ग की अधिकृत सीमा के भीतर अवैध रूप से बनी हुई थीं। एनएचएआई के डिप्टी मैनेजर अमित राय ने बताया कि इन दुकानों को हटाने के लिए दो-तीन महीने पहले ही नोटिस जारी किया गया था।
उन्होंने बताया कि चार जून को राजस्व विभाग की टीम ने पटवारी और तहसीलदार की मौजूदगी में इन दुकानों का सीमांकन (डिमार्केशन) भी करवाया था। उस समय सभी दुकानों पर लाल निशान लगाकर साफ चेतावनी दी गई थी कि निर्माण अवैध सीमा में है और इसे हटाना होगा।
दुकानदारों ने अन्यायपूर्ण बताया
हालांकि, दुकानदारों ने एनएचएआई की इस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण बताया। उनका आरोप था कि उन्हें सामान निकालने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। कुछ दुकानदारों ने दावा किया कि उनके लाखों रुपए का माल जेसीबी मशीन की कार्रवाई में खराब हो गया। मौके पर मौजूद व्यापारियों ने कहा कि प्रशासन को कम से कम एक-दो दिन का और समय देना चाहिए था, ताकि वे सुरक्षित तरीके से अपनी दुकानों का सामान हटा पाते।
पुलिसकर्मी रहे तैनात
कार्रवाई के दौरान बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात थे ताकि विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित किया जा सके। प्रशासन ने दुकानदारों से अपील की कि वे शांति बनाए रखें और सरकारी भूमि को खाली करने के आदेश का पालन करें।
एनएचएआई अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग की जमीन पर अतिक्रमण से यातायात सुरक्षा और सड़क चौड़ीकरण परियोजना में बाधा उत्पन्न होती है, इसलिए भविष्य में भी ऐसे अतिक्रमणों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।