जिला एवं सत्र न्यायाधीश (जयपुर महानगर-प्रथम) नंदिनी व्यास ने जमानत अर्जियों को खारिज करते हुए यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि मामले में जो आरोप हैं, वह कानून व्यवस्था को चुनौती देने के साथ ही समाज को आतंकित करने वाले हैं।
आरोपियों की ओर से जमानत प्रार्थना पत्र में कहा कि उन्होंने न पुलिस कंट्रोल रूम में धमकी देने का फोन किया और न उनसे मोबाइल या सिम बरामद हुई। आरोपी आपस में संपर्क में भी नहीं थे। ऐसे में आपराधिक षड्यंत्र भी नहीं रचा गया। याचिकाकर्ताओं ने जमानत पर रिहा करने का आग्रह किया।
लोक अभियोजक लियाकत अली ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपियों ने संगठित अपराध कर उपमुख्यमंत्री को मारने की धमकी दी। जुनैद ने सिम खरीदकर मोहम्मद अशरफ के साथ मिलकर उसे केन्द्रीय कारागृह में पहुंचाया और उसका उपयोग कर विक्रम सिंह ने जेल से धमकी भरा फोन किया।