Pahalgam Attak: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में पर्यटकों की हत्या की खबर के बीच एक शब्द बार-बार सुर्खियों में आ रहा है, वो है कलमा। अब तक की रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि आतंकियों ने पर्यटकों से कलमा पढ़ने को कहा, जिसने नहीं पढ़ा। उसे मौत के घाट उतार दिया और जिसने पढ़ा उसकी जिंदगी बख्श दी।
ऐसी वारदात को अंजाम देकर आतंकियों ने इस्लाम के साथ-साथ कलमा को बदनाम करने की कोशिश की है। ऐसे में सवाल ये कि आखिर ये कलमा क्या है और इस्लाम में इसका क्या महत्व है? क्या इसे जबरदस्ती पढ़वाया जा सकता है? क्या इस्लाम में ऐसा है कि अगर किसी ने कलमा नहीं पढ़ा तो उसे मार दिया जाए? इस सभी सवालों का जवाब जानने के लिए देखें यह वीडियो।
लोगों में आक्रोश
वहीं पहलगाम में आतंकी हमले पर लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। संस्थाओं और संगठनों की ओर से विभिन्न माध्यमों से प्रदर्शन कर आतंकियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है। राजसमंद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रामलाल जाट के नेतृत्व में पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले के विरोध में राष्ट्रपति के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा।
मौन जुलूस निकाला
वहीं झुंझुनूं के धोलिया चौक में आतंकी हमले की निंदा करते हुए ग्रामीणों और स्थानीय व्यापारियों ने विरोध-प्रदर्शन किया। सर्व समाज के आह्वान पर चित्तौड़गढ़ शहर गुरुवार को दोपहर तक बंद रहा। इस दौरान विभिन्न संगठनों ने गोरा बादल स्टेडियम से जिला कलक्ट्रेट चौराहा तक संतों के सानिध्य में मौन जुलूस निकाला। इसके उपरांत और कलक्ट्रेट पर मानव श्रृंखला बनाकर विरोध जताया।